चाय के साथ हो, यात्रा में हो, फिल्म देखते समय हो, हल्की फुल्की भूख मिटाने के लिए हो या फिर बच्चों को बहलाने के लिए, आजकल लगभग सभी लोग नमकीन, चिप्स या स्नेक्स का प्रयोग कर रहे हैं। जो स्वाद के साथ-साथ सस्ते में उपलब्ध हो जाते हैं। 5,10, 15, 20 रुपए में लोग इन उत्पादों को आसानी से खरीद लेते हैं। लेकिन कभी आपने सोचा है, कि इन उत्पादों का उत्पादन कौन करता है? कहां करता है? कैसे करता है? या फिर कितना कमाता है?
चलिए आज हम ऐसे ही 3 लोगों के बारे में बताते हैं जो हमारे देश के इंदौर के रहने वाले हैं। और इन्हीं उत्पादों से 850 करोड़ सालाना कमा रहे हैं। जी हां वह लोग हैं अमित कुमात उनके भाई अपूर्व कुमात और उनके भाई के दोस्त अरविंद मेहता, जो इंदौर के रहने वाले हैं।
दरअसल अमित कुमार ने अमेरिका से साइंस में मास्टर डिग्री की और वापस इंदौर आ गए काफी कोशिश के बाद भी उन्हें कोई नौकरी नहीं मिल पाई। मजबूरी में उन्होंने अपने पिता के साथ कपड़ों की दुकान में बैठना शुरु कर दिया। जिस में अच्छा मुनाफा भी हुआ लेकिन वह कुछ और ही करना चाहते थे। फिर उन्होंने SAP ट्रेनिंग केमिकल डाई का बिजनेस, वेबसाइट बनाने का बिजनेस किया लेकिन 1990 में सारा बिजनेस घाटे में चला गया, और उन पर 18 करोड़ का कर्ज हो गया।
सब कुछ दांव पर लगा था, पैसा और इज्जत दोनों जाती दिखी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। कुछ करने का जुनून उनके सिर पर सवार था। फिर उन्होंने अपना बिजनेस बदलने का सोचा और स्नैक्स बनाने पर काम करने की ठानी। यह आइडिया उन्होंने अपने भाई अपूर्व और उनके दोस्त अरविंद से साझा किया जो उन्हें भी पसंद आया। लेकिन समस्या एक ही थी, वह थी पैसे की, वह भी 15 लाख रुपये की। लेकिन तीनों ने सोच लिया था काम करना है, तो बस करना है। उन्होंने पैसे जोड़ने शुरू किए प्रताप स्नैक्स नाम से कंपनी बना ली।
शुरुआत में स्थानीय निर्माताओं से उत्पाद खरीदा, मजबूत नेटवर्क का निर्माण करना शुरू किया। सफलता पहले ही वर्ष से दिखनी शुरू हो गई उन्हें 22 लाख रुपए का लाभ हुआ। दूसरे साल लाभ एक करोड़ तक पहुंच गया। तीसरे साल यह सात करोड़ के पार हो गया। काम अच्छा चल रहा था और उसको देखते हुए क्षेत्र के विस्तार की भी आवश्यकता थी लेकिन 2006 से 2010 तक बालाजी और हल्दीराम जैसे स्वदेशी ब्रांड राष्ट्रीय स्तर पर बाजार में आ चुके थे।
इन चर्चित ब्रांडो से प्रतिस्पर्धा की बजाय उन्होंने अपने एक विशेष क्षेत्र पर ध्यान दिया। और अपना बाजार मजबूत किया। 2011 में उन्होंने खुद के विनिर्माण संयंत्र की स्थापना इंदौर में की, जो 5 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। येलो डायमंड नाम से ब्रांड बाजार में उतार दिया। इसके अलावा उनके चार अन्य संयंत्र है जिन से 2900 वितरक, 168 स्टोरों और 28 राज्यों में उत्पाद पहुचाये जाते है। तीन लोगों से शुरू हुई इस कंपनी में आज 750 कर्मचारी काम कर रहे हैं। बीएसई पर प्रताप स्नैक्स का शेयर 1270 रुपए प्रति शेयर तक पहुच गया था। इससे उनकी कामयाबी का अंदाजा लगाया जा सकता है।
“स्वदेश्यैव देशस्य प्रतिष्ठा”
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