
गत दिनों स्वदेशी शोध संस्थान (दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित स्वदेशी कार्यालय) में हवन करते, कश्मीरी लाल जी के साथ।
आज भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनाइजैशन का कार्यक्रम प्रारंभ कर दिया। विश्व में केवल पांच देश ही अपनी वैक्सीन विकसित कर पाए हैं।ये हैं अमेरिका, इंग्लैंड, चीन, रूस और अब भारत।
भारत की विशेषता यह भी है कि वह सबसे सस्ती भी है। और भारत क्योंकि दुनिया की पहले भी वैक्सिंग के 65% टीके तैयार करता है इसलिए भारत की इंडस्ट्री पर विश्व को विश्वास भी है।
ब्राजील पहला देश है जहां हमारी वैक्सीन जा रही है। इसके तुरंत बाद नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका भूटान, मलेशिया और फिर दक्षिण अफ्रीकी देश व यूरोपीय देश होंगे।
भारत ने अपना वसुधैव कुटुंबकम का विचार रखते हुए इससे कमाई करने की बजाय मानवता का हित वाला रास्ता अपनाया है। HCQ दवाई भी 82 देशों ने भारत से मँगवाई थी।
यह अलग बात है चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने कहा है, “भारत की वैक्सीन है तो चीन व विश्व के मुकाबले की, पर भारत उसका उपयोग वैक्सीन डिप्लोमेसी करने में कर रहा है।”
बांग्लादेश ने चीन से वैक्सीन लेने से मना कर दिया है वह भारत से लेगा।क्योंकि वह बेहूदा शर्तें लाद रहा था।
डब्ल्यू.एच.ओ के महासचिव से लेकर आईएमएफ प्रमुख व विश्व के स्वास्थ्य रणनीतिकारों ने कहा है कि भारत ने कोरोना महामारी से निपटने में दुनिया में सबसे उपयुक्त तरीके अपनाये हैं।…सबसे आगे होंगे हिन्दुस्तानी!
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