
दिल्ली कार्यलय में डिजिटल स्वदेशी सम्मेलन के दौरान ‘अपनी स्वदेशी चिट्ठियां’ पुस्तक का विमोचन करते हुए संयोजक सुंदरम जी, सह-संयोजक अरुण ओझा जी, डॉ अश्विनी महाजन जी तथा संगठक कश्मीरी लाल जी के साथ मैं स्वयं।
4 दिन पूर्व जब तरंग माध्यम से स्वदेशी सम्मेलन था तब दिल्ली के केंद्रीय कार्यालय से स्वदेशी जागरण मंच के वरिष्ठ अधिकारियों ने ‘अपनी स्वदेशी चिट्ठियां’ का भी विमोचन किया।
वास्तव में बहुत लंबे समय से स्वदेशी के कार्यकर्ता यह आग्रह कर रहे थे कि स्वदेशी चिट्ठी की कोई पुस्तक भी बननी चाहिए। मैं तो अन्यमनयस्क ही था, किंतु चंडीगढ़ के मधुर जी, साहिल जी, अंकित जी व जींद के योगेश सैनी जी ने यह काम करने का निश्चय किया और यह पुस्तक रूप में प्रकाशित हो गई। इस पहले अंक में 2017 सितंबर से अगस्त 2018 तक की 101 चिट्ठियां हैं।
इन चारों ने मेहनत की। मैंने पूछा, “क्यों की इतनी मेहनत?” तो वे केवल एक ही वाक्य बोले, “क्योंकि स्वदेशी के कार्यकर्ताओं व चिट्ठी के पाठकों की तीव्र इच्छा थी की यह पुस्तक रूप में मिल जाए, कार्यकर्ताओं की इच्छा पूरी करना, हमें खुशी प्रदान करता है, इसलिए।”
जो भी हो, अगले सप्ताह से हम इसे खरीद भी सकेंगे।
~सतीश कुमार
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