


काशी के एक स्टेशन पर छोड़ने आए कार्यकर्ता अनिलजी व बेटी प्रज्ञा!
विदेशीयों के रखे नामों से देश का छुटकारा
बौद्धिक क्षेत्र में स्वदेशी का जय जयकारा…!
कल मैं एक दिन के लिए काशी में रूका! अपने पुराने कार्यकर्ता अनिलजी लेने आए! पर यह क्या? पिछली बार जिस स्टेशन का नाम मुगलसराय था ,उतरा तो उसी पर ही,पर अब उसका नाम है प:दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन! वाह! ठीक ही है! जब मैने इसके बारे पूछा तो उतर मिला “अजी! कहां के मुगल और कहां की सराय..यहां तो है बस दीनदयाल उपाध्याय”
गत शनिवार को उतरप्रदेश की योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर वापिस पुराना नाम प्रयागराज कर दिया! तुर्किस्तान से आए विदेशी हमलावर बाबर के लड़के अकबर ने 444 वर्ष पूर्व प्रयाग का नाम बदला था! अब उसे ठीक कर दिया गया है! कुछ विपक्षियों ने इस बात की आलोचना की है! कमाल है!यह तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था!और यहां तो…हे राम!
दूसरे देश कैसा करते हैं इसका एक उदाहरण देखिए!
इस्रायल 1948 में आजाद हुआ! वह यहूदियों का देश है..उनकी प्राचीन भाषा हिब्रू है,जैसे हमारी संस्कृत! आजादी के कुछ समय बाद ही इस्रायल के शिक्षामंत्री ने शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों की एक बैठक बुलाई! और पूछा “यदि इस्रायल की सारी शिक्षा को हिब्रू में ही पढ़ाना हो तो इसकी तैयारी के लिए आपको कितना समय चाहिए?”
अधिकारियों ने काफी सोचकर उतर दिया “कम से कम दस साल!”
तो शिक्षामंत्री ने कहा “ठीक है!पर बस यह मानना कि इस महीने की अंतिम तिथि को ही १० वर्ष पूर्ण हो रहे हैं! इसलिए अगले महीने की पहली तारीख से हमारी शिक्षा हिब्रू में ही होगी! जो अफसर यह न कर सके वो नौकरी से छुट्टी पा ले!”
और इस्रायल में सारी शिक्षा अब हिब्रू में ही होती है!
हमने भी विलिंगटन हस्पताल का नाम बदलकर राममनोहर लोहिया( AIIMS)रखा ही है! रेसकोर्स रोड दिल्ली का नाम बदलकर लोककल्याण मार्ग रखा ही है!
इण्डिया का नाम भी भारत होना ही चाहिए!
1947 में राजनैतिक स्वतन्त्रता मिली,मानसिक व बौद्धिक स्वत्न्त्रता की प्रक्रिया अभी पूर्ण होनी बाकी है!
भारत तेजी से पूर्ण स्वतन्त्रता की तरफ बढ़ रहा है!
बोलो भारत माता की ‘जय’!
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