गत होली पर लुधियाना के अपने सुनील मानकटाहला जी के परिवार के साथ
अभी कुछ दिन पहले दिल्ली में,स्वदेशी के हम सात-आठ कार्यकर्ता बैठे थे।आपस में चर्चा कर रहे थे की जो विदेशों में अपने कार्यकर्ता हैं, वे आगामी दिनों में कैसे सहयोग कर सकते हैं?
बातचीत में न्यूयॉर्क में,रहने वाले अपने चावला जी भी आए हुए थे।जो मुलत:जनकपुरी दिल्ली के रहने वाले हैं।थोड़ी देर बाद जब विषय चला कि इस सम्पर्क अभियान के पत्रक इत्यादि छपवाने होंगे तो खर्चे का कैसे करें?
तो लेखराज चावला जी ने तुरंत एक बड़ी राशि घोषित करते हुए कहा कि यह लो और सारा खर्चा चलाओ।मुझे कोई नाम नहीं चाहिए, किसी नेता से मिलना नहीं, लेकिन अपने सब कार्यकर्ता मिलकर एक ऐसा अभियान चलाएं कि बस मोदी जबरदस्त तरीके से जीत जाएं।यह मेरी इच्छा है।क्योंकि यही देश की आवश्यकता भी है।
अगर कुछ और जरूरत हो तो भी दूंगा।
हम सब हैरान थे क्योंकि हमें इस बात की जरा भी अपेक्षा नहीं थी।
**आज सवेरे अपने जोगिंदर जी जो पहले अमेरिका में भी रहे हैं,आजकल गुड़गांव में ही रहते हैं, कार्यालय पर मिलने के लिए आए,कहने लगे “अमेरिका -ऑस्ट्रेलिया के हम कुछ मित्र मिलकर,भारत के इस चुनावी प्रक्रिया में सहयोग करना चाहते हैं। और एक बड़ी राशि भी उन्होंने कहा कि हम खर्च करना चाहते हैं।केवल एक ही इच्छा है, देश को आगे बढ़ाने के लिए,दुनिया में भारत का नाम चमकाने के लिए मोदी की आवश्यकता है।हम सब तो नॉन पॉलिटिकल लोग हैं,किंतु देश के लिए कुछ करना चाहते हैं।”
मैं सोच रहा था कि यदि इस प्रकार से सारे देश और दुनिया में लोग सोच रहे हैं,तो निश्चय ही भारत में राष्ट्रवादी ताकत की प्रचंड जीत को कोई रोक नहीं सकता।
गीत याद आ रहा था…”मन मस्त फकीरी धारी है-२…अब एक ही धुन, जय जय भारत, जय जय भारत
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