

कल भूमि पूजन के कुछ दृश्य
“बात कोई लगभग 8 वर्ष पहले की है। संघ के पूर्व अ: भा: बौद्धिक प्रमुख स्व: महावीर जी के भतीजे की शादी थी। पंजाब के मानसा शहर में सब कुछ तैयारी ठीक चल रही थी। किंतु विवाह के 4 घंटे पूर्व ही पिताजी की मृत्यु हो गई। अब क्या करना?”
“उन्होंने एक कठिन निर्णय लिया। शरीर को संघ कार्यालय में रखवा दिया। किसी को बताया नहीं। विवाह कार्य संपन्न होने दिया।किसी को पता नहीं चला कि बैंड बाजा क्यों नहीं बजाया?”
“रात्रि को विवाह संपन्न करके अगले दिन प्रातः काल ही उन्होंने बताया और संस्कार विधि संपन्न की।”
“कुछ ऐसी ही मन:स्थिति हमारी कल थी।जब स्वदेशी शोध संस्थान दिल्ली के भवन निर्माण हेतु भूमि पूजन करना तय था। तथा उधर समाचार आ रहे थे की 3,80,000 नए संक्रमित हो गए हैं। अपने 3500 बंधु भगिनी कोरोना के कारण चल बसे हैं। किंतु कर्तव्य की पूर्ति का निश्चय व मन में अपने लोगों के जाने का गम, दोनों ही साथ साथ चल रहे थे। और माननीय दत्तात्रेय होस्बोले(सरकार्यवाह) जी के कर कमलों से भूमि पूजन का कार्य संपन्न किया। माननीय भगवती जी,कश्मीरी लाल जी, सरोज दा व 8-10 कार्यकर्ता ही वहां पर उपस्थित थे।”
“सब कुछ बहुत अच्छे से संपन्न हुआ।आवश्यक चर्चा हुई और देश भर की परिस्थिति में अपने बंधु कैसे सेवा कार्य में लगें, इस विषय में योजना चर्चा फिर प्रारंभ कर दी।~सतीश कुमार
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