परसों गुरूग्राम बार ऐसोसिएशन ने 100% मतदान और ‘भविष्य का भारत’ विषय पर बहुत अच्छी गोष्ठी की। बार के वरिष्ठ अधिकारियों सहित 100 से अधिक वकील व अन्य बंधु उपस्थित रहे।
युवा किसान राकेश सिहाग व उसकी प्राकृतिक खेती।
हरियाणा के बिजालपुर गांव का राकेश सिहाग। जब गांव में पिता ने कहा की”खेती देखो! पढ़ाई क्या करोगे?”
तो राकेश ने ज़िद मारी और अंबाला पॉलिटेक्निक में जाकर सिविल इंजीनियरिंग किया। 3 साल तक नौकरी की।
बहुत आगे पहुंचने पर भी उसको नौकरी से कुछ खास बचता नहीं था। केवल घर का जैसे-तैसे गुजारा ही चलता था। फिर जब पिता बीमार हुए और भाई की कुछ स्वास्थ्य की समस्या हुई तो उसने गांव में आकर खेती में ही हाथ आजमाने का फैसला किया।
इसने देखा की इस तरीके से तो इस फसल से कुछ बचेगा नहीं, तो कहीं से पता करके जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग का तरीका अपनाया।
इसके कारण से उसकी लागत एकदम कम हो गई। और फसल ठीक से आई। ऑर्गेनिक होने के कारण से उसका दाम भी ठीक मिलने लगा फिर इस ने तय किया कि मैं सब्जियां और फलों की ही खेती पर ज्यादा ध्यान दूंगा।
लगातार मेहनत करता चला गया।परिवार ने भी साथ दिया।आज वह अपने कुल मिलाकर 22 एकड़ के खेत में से ₹50लाख सालाना तक की कमाई कर रहा है।प्राकृतिक खेती करने से खर्चे बहुत कम हुए और फसल के दाम दोगुने मिल रहे हैं।
राकेश ने दूसरे भी लोगों को इस विषय में प्रशिक्षित करना शुरू किया है। उसका दावा है की 4-5 एकड़ में ही आप बहुत अच्छे ढंग से कमाई कर सकते हो। राकेश का कहना है नौकरी का विचार छोड़ना मुझे एक बार तो कठिन लगा, पर आज सोचता हूं कि शुरू के 6 साल भी मैंने बर्बाद किए। अन्यथा अब तक में 1करोड़ रुपए वार्षिक की कमाई कर रहा होता।
पुराने लोगों की कहावत “उत्तम खेती, मध्यम व्यापार निम्न चाकरी” राकेश सिहाग ने पूरी तरह सत्य सिद्ध कर दिखाई।जय स्वदेशी।
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