अब हर महीने कमा रही डेढ़-दो लाख रुपए, साथ ही दे रही 8-10 लोगों को रोजगार।
मैंने सोशल मीडिया पर रितु कौशिक की सक्सेस स्टोरी पढ़ी और किसी तरह उनसे कॉल पर बात करने में भी सफल हुआ।
नजफगढ़ की रहने वाली रितु कौशिक को शुरू से ही हैंडबैग कलेक्शन का शौक था। इसी के चलते उन्हें हैंडबैग का बिजनेस शुरू करने का ख्याल आया।
उन्होंने बाजार से हैंडबैग इकठ्ठे किए और ‘रितुपाल कलेक्शन’ नाम से अपना ब्रांड बनाकर फ्लिपकार्ट पर बेचना शुरू किया।
वे कहती हैं कि,”मैंने कभी भी गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं किया, इसलिए ग्राहकों को हैंडबैग्स पसंद भी आए।”
धीरे धीरे मांग बढ़ने लगी तो नांगलोई के 8-10 लोग भी संपर्क में आए जो हैंडबैग बनाते थे।
अगर एक दिन में एक कारीगर 4 बैग भी बनाता है, तो 200 रू प्रति बैग के हिसाब से 800 रू एक दिन के कमा रहा है। और सब कट कटा के महीने के 15-17000 तो बचाता ही है।
रितु ने अब उन्हें हैंडबैग्स बनाने का ऑर्डर देना शुरू किया और खुद ऑनलाइन ऑर्डर की पैकिंग से लेकर उन्हें कोरियर करने का काम संभालने लगी।
रितु के दो बच्चे भी हैं। वे कहती हैं कि,”इंसान को कभी भी अपनी जिम्मेदारियों से भागना नहीं चाहिए। घर में सास ससुर भी हैं तो मैं घर में ही रहते हुए कुछ करना चाहती थी ताकि बुजुर्गों की सेवा भी कर सकूं। इसलिए घर में ही गोदाम बनाया। पति का भी सहयोग रहता है और बही खाता सब वही संभालते हैं।”
इस समाज को जरूरत है रितु जैसे लोगो की, जो बिना किसी सरकारी सहायता के भी इतना अच्छा कमा लेते हैं। और साथ ही दूसरो को भी रोजगार देते हैं।
स्वदेशी एजुकेटर की कलम से।