आज त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में मैं प्रवास पर था। स्वावलंबी भारत अभियान, विद्यार्थी परिषद ने मिलकर 1000 युवाओं की बड़ी रैली निकाल रखी थी।
और बाद में जो स्टेडियम में वे सब बैठे तो अनुशासन भी देखने लायक था। वहां के कुल सचिव व कुलपति दोनों मंच पर थे वह बोले भी।सफल उद्यमियों को सम्मानित किया भी किया गया।वहां की स्थानीय भाषा में जब युवतियों ने गीत गाया,”हम सबको आगे बढ़ाना है…” तो स्टेडियम तालियों से गूंज उठा।सभी तालियों से ताल दे रहे थे। मैं स्वयं दृश्य देख रोमांचित था।जिस त्रिपुरा में 14..15 वर्ष पूर्व हमारे चार प्रचारकों की अगुआ कर निर्मम हत्या कर दी गई थी उसी त्रिपुरा में “जय स्वदेशी और भारत मां की जय” के नारे गूंज रहे थे।
जिस प्रकार का वातावरण देश भर में बन रहा है की, लंबे समय बाद युवाओं ने अपने रोजगार के लिए नौकरी की बजाय स्वरोजगार व उद्यमिता को स्वीकार करना प्रारंभ कर दिया है।यह एक संस्कृति उभर रही है।
21 अगस्त को हुए विश्व उद्यमिता दिवस पर देशभर में 300 से अधिक स्थानों पर बहुत भव्य कार्यक्रम हुए। इनमें जिला स्तर के कार्यकर्ताओं से लेकर राज्यपाल महोदय तक शामिल हुए।उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम सब तरफ यह कार्यक्रम हुए।
मानसिकता परिवर्तन का यह महा अभियान लगता है रंग लाने लगा है।और यदि यही क्रम अगले दो-तीन वर्षों तक रहा तो निश्चित ही भारत अपनी बेरोजगारी की महामारी पर काबू पाने में सफल होगा।
आज त्रिपुरा में हुए कार्यक्रम के कुछ चित्र