मेरा अभी 4 दिन का प्रवास जम्मू कश्मीर में चल रहा है।इस प्रान्त के सह संयोजक विपिन जी का 3 दिन पहले फोन आया “सतीश जी मै अभी अहमदाबाद राष्ट्रीय परिषद से लौटा हूँ…स्कूल से छुट्टी और लेनी कठिन जा रही है!आपका प्रवास है,मै क्या करूँ?
मैने कहा ” आप निश्चिंत रहो,प्रान्त संयोजक आशुतोष जी व् पवन जी प्रवास करवा लेंगे।”
आज 3 दिन हो गए,मेरा अपना अनुमान है,की कोई 100 फोन उन्होंने विभिन्न जगह कर दिए होंगे। कल रात हम रास्तों की कठिनाई से कोई 11 बजे राजौरी पहुंचे।पर हर 35-40मिनट बाद उनके फोन दोनों तरफ चल रहे थे। मेरा भोजन कहाँ है,से लेकर बैठक में संख्या कितनी होगी,कैसे होगी? यह लगातार फोन से तयारी करवाते रहे।
यद्यपि वे स्वयं कठुआ जिले में काफी ऊँचे पहाड़ पर स्थित अपने गावँ में हैं।पर फोन का पूरा उपयोग कर उन्होंने सफल प्रवास कराया। आशुतोष जी साथ-२चल भी रहे थे तालमेल भी कर रहे थे। जय हो!
*राजौरी में पुराने व् बुजुर्ग कार्यकर्ता ज्योतिजी मिले। आग्रहपूर्वक घर ले गए। एक फ़ोटो दिखाया जिसमे उनकी 4 पीढ़ी संघ गणवेश में थी। उनके चेहरे पर संतोष व् गर्व स्पष्ट दिख रहा था…
धन्य है विपिन जी व् ज्योति जी जैसे कार्यकर्ता, यह संगठन ऐसे ही कार्यकर्ताओं के बल पर बड़ रहा है।
गतिविधि:-अपने कश्मीरी लालजी का पंजाब के बाद हिमाचल का प्रवास चल रहा है, आज हमीरपुर में अछि उपस्थिति का कार्यक्रम हुआ।..जय स्वदेशी..
~’स्वदेशी चिट्ठी’