आज मैं अखिल भारतीय प्रवास के अंतर्गत गुजरात सौराष्ट्र के केंद्र राजकोट पहुंचा।वहां पर आर के विष्वविद्यालय के अंदर एक कार्यक्रम रखा हुआ था।300 से अधिक महाविद्यालय के विद्यार्थी वहां बैठे थे।
जैसे ही मैंने जय स्वदेशी का उद्घोष करवाया हाल गूंज उठा। मैं उनकी सरगर्मी देख तुरंत विषय पर आया। लेकिन मेरे आश्चर्य का ठिकाना ना रहा जब मैंने पूछा कि “आप में से कितने पहले से ही पढ़ते हुए कमाई कर रहे हैं?” तो वहां पर लगभग 40% बच्चों ने हाथ खड़े कर दिए।उनमें से जब मैंने कुछ को बुलाया तो उनमें दो-तीन ऐसे भी थे जो 40 से ₹50000 कमा रहे थे।
एक लड़की ने कहा “मैं कॉलेज के बाद अपना रेस्टोरेंट्स चलाती हूं।” एक स्टॉक मार्केट में काम कर रहा था।एक ने तो बकायदा अपनी कंपनी खोलकर मैन्युफैक्चरिंग ही शुरू कर दी थी। मेरे ध्यान में आया कि गुजरात में बेरोजगारी कम होने का यह प्रमुख कारण है। कि वहां पर उद्यमिता उनके खून में है।और वे अनेक प्रदेशों की बजाय नौकरी नहीं उद्यम शुरू करने की सोचते हैं।फिर मैंने तो उन्हें इस दिशा में प्रोत्साहित करना ही था।
बाद में राजकोट इंडस्ट्री के साथ भी बड़ी बैठक हुई।जहां मैंने उन्हें आउट ऑफ बॉक्स सोचकर राजकोट की इंडस्ट्री को विश्व स्तरीय बनाने का आह्वान किया। “इंडस्ट्री को रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए अपना कुछ प्रतिशत रखना चाहिए” ऐसा भी मैंने आग्रह किया।जो भी हो गुजरात की जीडीपी सारे देश में आगे जा रही है, तो उसके युवाओं की उद्यमिता के कारण।
कार्यक्रम संपन्न करके मैं इंदौर के लिए ट्रेन पकड़ने हेतु निकल पड़ा।