इस वर्ष पुणे महानगर से
रा.स्व.संघ (RSS)के तीन कार्यकर्ता प्रचारक बने हैं
1 श्री सुशांत पाडकर –
जर्मनी से M S
2 श्रीमय पन्हाळकर –
अमेरिका से M S
3 श्री प्रतीक धात्रक –
CA, LLB (CA की परीक्षा मे देश मे 8 वि रैंक)
आखिर माँ भारती के चरणों में अर्पित होने वाला पुष्प विशिष्ट तो होना ही चाहिए,निर्मल,पावन,पूर्ण विकसित,सुगन्धित भी!
उक्त पोस्ट मुझे 2 दिन पूर्व मिली…उनके चित्र भी नीचे हैं.. किन्तु पुणे ही नहीं सरे देश से जून जुलाई मास में संघ शिक्षा वर्गों के बाद प्रचारक निकलते ही हैं!
इस वर्ष भी कोई 400 प्रचारक निकले हैं…हर वर्ष निकलते हैं…
देश में कोई 3000 प्रचारक हैं… इनमे से 600 के लगभग विविध क्षेत्रों में गतिविधियों में होंगे!
भरी जवानी में, ग्रेजुएशन या ऊपर की पढ़ाई करके, कोई इंजिनियरिंग, कोई CA तो कोई कोई पीएचडी करके भी प्रचारक बनते हैं…
धन्य तो वे माता पिता भी हैं, जो अपने युवा पुत्र को पड़ा लिखा कर देश कार्य के लिये भेजने को तयार हो जाते हैं!
इसी चिट्ठी में मैने कुछ समय पहले पंजाब से निकले 2 ऐसे प्रचारकों के माता पिता के बारे लिखा था, जो उनके इकलौते पुत्र हैं!
एक बैंक की पक्की नोकरी छोड़ कर तो दूसरा IIT मुम्बई से इंजीनियरिंग करके…अब लग रहा है वे दोनों आजीवन प्रचारक रहेंगे!
भारत पुनर्निर्माण में ये 3000 इंजीनियर(प्रचारक) तो लगे ही हैं… लाखों मिस्त्री(कार्यकर्ता) भी लगे हैं…
इन सबका एक ही गीत है…
कुछ कली चढ़ी, कुछ पुष्प चढ़े
कुछ समय से पहले फिसल पड़े,
हमको दो वरदान यही माँ…पुष्पित होकर चढ़ जाएँ!
माँ तेरी पावन पूजा में हम केवल इतना कर पाएं..
…पतत्वेषकायो नमस्ते नमस्ते!
~’स्वदेशी-चिठ्ठी’– सतीश
नीचे पुणे से इसी वर्ष निकले प्रचारक व् हरियाणा के कुछ प्रचारक(4वर्ष पूर्व)मस्ती में