Search
Close this search box.

जीना इसी का नाम है! 3000 बेटियों के पिता हैं, महेश सेवानि!

आश्चर्यजनक नहीं प्रेरक है!महेश सेवानि जो सूरत के रहने वाले हीरा व प्रापर्टी व्यापारी हैं!
वे अब तक 3000 ऐसी कन्याओं का कन्यादान कर चुके हैं,जो या तो अनाथ थीं, या शादी करने का सामर्थ्य(आर्थिक) नहीं था!
कैसे शुरू हुआ ये सब?
महेश ने बताया “मेरे दूर के रिश्तेदार ईश्वर भाई की असमय मृत्यु हो गयी। 2 बेटियों का विवाह करना था!एक नैतिक दायित्व निभाते हुए 10 लाख खर्च कर भी उन 2 बेटियों की शादी की!
फिर मेरे दिमाग में आया की ऐसे और भी तो कितनी बेटियां होंगी? बस मुझे एक मिशन मिल गया!
2010 से ऐसी कोई 250-275 बेटियों के विवाह हर वर्ष करता हूँ! एक जोड़े की शादी में कोई 4-5 लाख तक खर्च आ जाता है!
प्रभु की कृपा है, पारिवारिक ट्रस्ट P.P.Savani से ही सारा खर्च करते हैं!
इसके आलावा 3500 अति गरीब या पितृ विहीन बच्चों की 12वीं तक की पढ़ाई का पूरा खर्च भी ईश्वर हमसे करवा लेता है!
इस सब से मिलता क्या है?
महेश मुस्कुराते हुए कहते हैं…”संतुष्टि और (लक्ष्य युक्त)जीवन जीने का आनंद!!
उसी राह पर दिल्ली के स्वदेशी कार्यकर्ता प्रितपालजी!
अपने दिली के कार्यकर्ता जो मूलतः भिवानी जिले के हैं। वे भी अब तक कोई 85 जोड़ों का विवाह कर चुके हैं!
40 जोड़ों का तो पूरा खर्च उन्होंने स्वयं किया है!
बाकि का संस्थाओं के साथ मिलकर!
बचपन में भजन सुनते थे….
पराया दर्द जो अपनाये उसे इंसान कहते हैं
किसी के काम जो आये उसे इंसान कहते हैं!
~सतीश– ‘स्वदेशी–चिट्ठी’
नीचे पहले चित्र में महेश सेवानि व् दूसरे में प्रितपालजी!

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

YOU MIGHT ALSO ENJOY

FOLLOW US

Facebook
Twitter
LinkedIn
LinkedIn
WhatsApp
Telegram