3 दिन पूर्व कश्मीरी लाल जी,सुंदरम जी और मैं तमिलनाडु के बड़े नगर कोयंबटूर में पहुंचे। यह कोयंबटूर दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है।
मैंने अपने अ:भा: संयोजक सुंदरम जी से पूछा “क्यों है ऐसा?” तो उन्होंने कहा कि “पंप से लेकर गोल्डज्वेलरी तक टेक्सटाइल से लेकर मशीन और आई टी तक सब प्रकार की आइटमें यहां बनती हैं।”
आगे वह बोले “अकेले इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। भारत की पहली मोटर यहां बनी।”
वे आगे बताने लगे “अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।”
हमारी चर्चा चली की भारत के हर प्रांत में एक-एक कोयंबटूर जैसा मैन्युफैक्चरिंग हब बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाए और समृद्धि की राह भी बन जाए। फिर चीन से आयात नहीं भारत से ही सारे विश्व में निर्यात होंगे।…जय हो। और बाद में हम पलक्कड़ में होने वाली संघ की तीन दिवसीय बैठक के लिए निकल गए।~सतीश
स्वदेशी के कार्यकर्ताओं की कोएंबटूर में हुई बैठक में विषय रखते हुए प्रांत संगठक सत्यनारायण जी।