आपने बिसलेरी पानी की बोतल का नाम सुना ही होगा। भारत की स्वदेशी कंपनी है ₹8000 करोड की।
इसके मालिक रमेश चौहान ने गत दिनों घोषणा की कि वे इसे बेच रहे हैं। एक पत्रकार वार्ता में उन्होंने रोते हुए बताया “मैं कंपनी को मारना नहीं चाहता।मैंने जीवन भर इस पर मेहनत की है।”
पत्रकार ने पूछा “यह तो बड़े प्रॉफिट में चल रही है। फिर क्यों बेच रहे हो?”
उन्होंने कहा “मेरी एक ही संतान है,मेरी लड़की।वह इस बिजनेस में रुचि नहीं लेती। विवाह करके अपने पति के बिजनेस में मग्न है।मेरी तो उम्र हो गई है (76 वर्ष)।
यह स्वभाविक है।याने घर में अगर बच्चा एक ही है तो इतना बड़ा लाभकारी व्यापार भी अपने वारिस के बिना बिक रहा है।और बुढ़ापे में घर का कोई सदस्य साथ नही।
जापान में तो यह बात आम है। वहां 25% लाभकारी दुकान या बिजनेस केवल इसीलिए बंद हो रहे हैं कि उन्हें संभालने वाला कोई नहीं है।जापान अब बूढ़ा देश हो गया है।और वहां जन्मदर 1.4 प्रति परिवार से भी कम है।जो होनी चाहिए 2.1.
भारत में भी यह दर(TFR)2.0आ गई है। इसलिए भारत में भी अब जनसंख्या कम करने के स्थान पर फिर से बढ़ाना है।
जिस परिवार में दो या तीन बच्चे होंगे उस घर में स्थाई सुख शांति और जीवन की गुणवत्ता रहेगी। केवल एक बच्चे से तो परिवार का भविष्य सुखकर नहीं रहेगा। सबको सोचना है…केवल प्रचारकों को छोड़कर!!
हरियाणा का,और कुरुक्षेत्र जिले का भी रोजगार सृजन केंद्र प्रारंभ हुआ।संघचालक, सांसद, वाइस चांसलर व स्वदेशी के अधिकारी सभी थे।