पिछले हफ्ते मैंने चेन्नई से कोलकाता व वहां से जयपुर आते हुए रश्मि बंसल की पुस्तक कनेक्ट द डॉट्स पढ़ी!
उसमें तमिलनाडु, तूतीकोरिन के प्रेम गणपति के बारे में पढ़कर लगा कि वह तो हमारे इधर का बिट्टू टिक्की वाला ही है! तो अपने पाठकों को भी उसके बारे में बताना चाहिए,इसलिए यह चिठ्ठी लिख रहा हूं!
प्रेम गणपति तूतीकोरिन में केवल 10कक्षा तक पढ़ा! किसी तरीके चेन्नई आकर उसने एक कॉफी स्टॉल पर बर्तन धोने,कॉफी बनाने का काम शुरू किया!
एक मित्र के कहने पर उसके साथ मुंबई आ गया! किंतु वह उसे स्टेशन पर ही छोड़कर कहीं और निकल गया स्टेशन पर ही रात बिताई!
किसी तरीके से वह धरावी बस्ती में अपने कुछ तमिल लोगों से मिला! खुले आकाश में सोना हुआ! फिर एक कॉफी वाले के यहां ही जाकर बर्तन धोने का काम लिया! किंतु इसके आग्रह पर भी उन्होंने इसको बाहर चाय कॉफी परोसने का, वेटर का काम नहीं दिया!
इसने दुकान बदल ली!वहां वेटर का काम मिल गया!मेहनती तो था ही,ग्राहकों से बात अछे सम्मान व् प्यार से करता!अच्छे तरीके से मेज साफ करता व चाय,कॉफी देता!इसकी ये बातें देखकर, एक अन्य दुकानदार ने इसको अपने यहां पर, कॉफी बनाने व बेचने का ऑफर दिया!
प्रेम गणपति ने सोचा अब नौकर से मालिक कैसे बनूँ?बहुत सोचकर,उसके साथ 25% लाभ की शर्त पर काम शुरू कर दिया!पांच छः महीने तो अच्छा चला! इसकी कमाई अछी हो गई!किंतु जैसे ही लाभ बढ़ा उस दुकानदार ने इसको बाहर निकाल दिया!उफ़!
प्रेम गणपति निराश होकर गांव लौट आया!किंतु माँ व घर के अन्य लोगों के प्रोत्साहित करने पर एक नए उत्साह व तेवर के साथ गांव से ₹20000 लेकर मुम्बई आया और यहां आकर एक छोटा सा अपना ही रेड़ी स्टाल कॉफी और चाय का लगा लिया!
फिर इसके ध्यान में आया कि मुंबई में डोसा काफी अच्छा बिकता है तो इसने अपनी रेडी पर डोसा बनाना और बेचना शुरू कर दिया! फिर गांव से अपने भाई को भी बुला लिया!इसने थोड़ा अध्ययन किया कि उस बस्ती में विद्यार्थी काफी रहते हैं जोकि नए-नए प्रकार के व्यंजन खाने के इच्छुक रहते हैं!इसने धीरे-धीरे करके नए-नए प्रकार के डोसा बनाएं!वहां अखबार में छप गया एक दुकान ऐसी,जिस पर मिलते हैं 108 प्रकार के डोसा!
जब काम अच्छा चल पड़ा दो भाई और भी गांव से आ गए!तो इसने छलांग लगाने की सोची!व ₹ 2 लाख में लीज पर एक दुकान ले ली!जो कि फेल हुई!
किंतु उसने हिम्मत नहीं हारी! थोड़े दिनों बाद,एक बैंक से लोन लेकर इसने एक 108 डोसा प्लाजा की नए स्थान पर दुकान खोली!
काम बहुत अच्छा चल पड़ा!तो एक दिन यह मैकडोनाल्ड के मैनेजर से जाकर मिला! बातचीत में इसके ध्यान में आया कि वह वहां बहुत खुश नहीं था! तो इसने उसको अपने यहां आकर काम करने के लिए मना लिया!और फ्रेंचाइजी सिस्टम से काम तेजी से बढ़ाया जा सकता है,यह ध्यान कर इस तरीके को भी उसने इस्तेमाल किया!
आज उसके पूरे भारत में,व मलेशिया में 28 डोसा प्लाजा सेंटर हैं!वह कोई 25 करोड़ का बिजनेस कर रहा है! समझदारी, बड़े बनने की इच्छा,व खतरा मोल लेने की क्षमता के कारण से प्रेम गणपति अनपढ़ होते हुए भी अब कई MBA को अपने पास काम दे रहा है! व सैकड़ों कर्मचारी उसके इन 28 centers में रोजगार पा रहे हैं!
~ सतीश– ‘स्वदेशी-चिट्ठी’