Search
Close this search box.

यही है जिंदगी…. नीचे दो चित्र दिए हैं!जो पिछले तीन-चार दिन में मुझको आए!

संयोग से एक में मेरे बड़े भाई,उनकी प्रोफेसर पत्नी,बहन व उसके बैंक मैनेजर पति व भतीजी
का है।
जम्मू में वह एक नदी में स्नान करते हुए,पारिवारिक अनुभूति कर रहे हैं!
दूसरे चित्र में लुधियाना की सीमा बहनजी (पत्नी हरिपाल जी)अपनी सहेली के साथ एक पार्क में गपशप कर रही है!
सवाल यह है कि आजकल की भागदौड़ की जिंदगी में हम अपने लिए,अपने बच्चों के लिए,मां बाप के लिए समय निकाल पाते हैं क्या?जीवन को सार्थक रूप से जी रहे हैं क्या?
बहुत दिन पहले मैंने एक अमेरिकन कहानी पढ़ी थी!
एक बच्चा अपने इंडस्ट्रियलिस्ट पिता को कहता है “डैड, आप 1 घंटे में कितने पैसे कमा लेते हैं?
वह पिता बोलता है तुम्हें कितने चाहिए,बताओ?
किंतु बार-बार जिद करने पर वह डैडी अपने बच्चे को बताता है “प्रत्येक घंटे में $50 कमाता हूं”
तब बच्चा अपनी जेब में से $25 निकालता है और डैड को कहता है “कृपया आप मुझे आधा घंटा दे दीजिए और बदले में यह $25 ले लीजिए”
बहुत बार विशेषकर जब पति पत्नी दोनों ही नौकरी कर रहे होते हैं,तब हम बच्चों के लिए,अपने लिए फुर्सत के क्षण जिसका मतलब वास्तव में जीवन का विकास, आपसी स्नेह होता है,वह निकाल ही नहीं पाते!
जबकि यदि हम कभी साल 2 साल में ऐसा कुछ वक्त निकालते हैं तो वर्षों तक हमें उन्ही पलों की सुखद अनुभूति होती रहती है!
अतः हम जीवन मे सुख का वास्तविक अर्थ समझें!
अपने और अपने परिवार के लिए,मित्रों के लिए,माता पिता के लिए… खुला समय नियमित रूप से निकाले,तो जीवन का आनंद बहुत बढ़ जाएगा!!
जरा सोचिए,करके देखिए~’स्वदेशी-चिट्ठी’

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

YOU MIGHT ALSO ENJOY

FOLLOW US

Facebook
Twitter
LinkedIn
LinkedIn
WhatsApp
Telegram