(३ वर्ष पूर्व लिखी चिठ्ठी)
जीवन भर हंसते खेलते रहने वाली
जाते जाते लाखों को रुला गईं।
सुषमा स्वराज चली गईं। कोई उसे अपनी बहन मानता है,कोई मां, कोई कार्यकर्ता, तो बहुतेरे योग्य राजनेता। न्यूयॉर्क टाइम्स ने उसको सुपरमॉम लिखा था। जमीन से जुड़ी हुई एक ऐसी नेता इस दुनिया से चली गई जिसने दुनिया भर में भारत का नाम रोशन किया।
उन्होंने नीचे से शुरू किया,अंबाला में विधायक से। हरियाणा की 27 वर्ष में वह कैबिनेट मंत्री बनी (सबसे युवा महिला) फिर वे दिल्ली की मुख्यमंत्री भी बनीं। फिर भारत की विदेश मंत्री तो सब जानते ही हैं।
हर भारतीय को चाहे वह किसी भी देश में रहता था उसको लगता था की सुषमा स्वराज उनके लिए है ना? भारतीय चाहे किसी भी देश में संकट में हुआ तो वह उनको निकाल ही लाती थी। और इसके लिए वह केवल सरकारी तंत्र को आदेश देकर नहीं रह जाती थी बल्कि व्यक्तिगत रुचि लेकर अन्य उपायों का भी प्रयोग करतीं थीं।
मानवीय सोच ऐसी कि एक बार एक पाकिस्तानी लड़की को इलाज के लिए स्वयं पहल करके भारत लाईं व इलाज करके उसको वापस भेजा।
राजनीति में रहना और बिना दाग के, बिना विवादास्पद हुए काम करते हुए निकल जाना यह कोई सामान्य बात नहीं होती। सुषमा जी ने यह कर दिखाया।
सामान्य जन से लेकर प्रधानमंत्री तक व आम कार्यकर्ता से लेकर विदेशी राजनयिकों तक सबने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है.. ओम शांति शांति!
स्वदेशी चिट्ठी की तरफ से भी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित।