वर्ल्ड बैंक की नौकरी छोड़कर खेती-उद्यमिता को बनाया रोज़गार का साधन!!
तमिलनाडु के कृष्णागिरी ज़िले की रहने वाली पार्वती मेनन ने केवल अपने लिए नहीं बल्कि सारे देश के लिए एक बहुत ही उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया है!
पार्वती मेनन ने IIM बैंगलोर से वोमैन एंटरप्रेन्योरशिप में डिग्री करने के बाद ब्लूमबर्ग व वर्ल्ड बैंक ग्रुप में महिला उद्यमिता सलाहकार कि नौकरी की!किन्तु उसका मन कहीं और था उसने यह सब छोड़ 2014 में कृषि क्षेत्र और वह भी महिलाओं द्वारा,इसका सफल उदाहरण प्रस्तुत किया!
उसने लगभग दस एकड़ ज़मीन लीज़ पर ली!कुछ महिलाओं को व स्कूली बच्चों को प्रशिक्षण देते हूए उस फ़ार्म में अदरक,लहसुन,नीबू,गाजर,मिर्च व बंद गोभी लगायी!
फिर उसने इनको मार्केटिंग करने का फ़ैसला किया!मंडी में ले गई!इतना ही नहीं बेंगलोर के 120 घरों में उसने डायरेकट फ़ार्म उत्पाद सेल करके अच्छी कमाई शुरु कर दी!इससे उसका व उनके साथ काम करने वाली महिलाओं का हौसला बढ़ा!
और अब तो वे आदित्य बिरला ग्रुप व रिलायंस फ़्रैश को भी माल देने लगी है!उन्होंने कहा कि हमने महिलाओं को ड्रिप एरिगेशन,रेन वॉटर हार्वेस्टिंग व ग्रीन हाउस का प्रयोग करना सिखाया! इसके कारण से पाँच छह एकड़ के खेत में भी अच्छी फ़सल व अच्छी कमाई होनी शुरू हो गई है!
उसके साथ साथ कई महिलाओं ने इस प्रकार के ग्रुप फ़ार्मिंग शुरू कर दी है!अभी तो उनकी मार्केटिंग योजना पार्वती मैनन हीं कर रही है!पर आगे चलकर उसकी योजना है कि ये महिलाएँ सीधे अपना माल दूर की मंडियों में भी बेचना शुरू कर दें!
वे बताती हैं कि हमने किसी बैंक अथवा एजेंसी से उधार नहीं लिया!सारे ख़र्चे व तनखाएं ठीक से निकलने लगी है!उसे आशा है कि बहुत जल्द उसने जो कंपनी बनायी है,वह बहुत बड़ा प्रॉफिट भी कमाएगी!
खेती को उद्यमिता बनाने का यह प्रयोग अगर सारे देश में चल पड़े तो इस दुनिया के सबसे अधिक कृषि क्षेत्र वाले देश को पूर्ण रोजगारयुक्त बनते देर नहीं लगेगी!
नीचे भोपाल में एक विशाल जनसभा को ‘वालमार्ट- फ्लिप्कार्ट समझौता व उस से रिटेल सेक्टर पर पढ़ने वाले प्रभाव’इस पर बोलते हुए अपने कश्मीरी लाल जी!जयपुर,कोटा विश्वविद्यालय,भीलवाड़ा व आज जोधपुर में मेरे प्रवास में इसी विषय पर अच्छी गोष्ठीयां हुई~’स्वदेशी-चिट्ठी’