एक दिन, एक साँप, एक बढ़ई की औजारों वाली बोरी में घुस गया।
घुसते समय, बोरी में रखी हुई बढ़ई की आरी उसके शरीर में चुभ गई और उसमें घाव हो गया, जिस से उसे दर्द होने लगा और वह विचलित हो उठा।
गुस्से में उसने, उस आरी को अपने दोनों जबड़ों में जोर से दबा दिया।
अब उसके मुख में भी घाव हो गया और खून निकलने लगा। अब इस दर्द से परेशान हो कर, उस आरी को सबक सिखाने के लिए, अपने पूरे शरीर को उस साँप ने उस आरी के ऊपर लपेट लिया और पूरी ताकत के साथ उसको जकड़ लिया।
इस से उस साँप का सारा शरीर जगह जगह से कट गया और वह घायल होकर अंततः मर गया।
ठीक इसी प्रकार कई बार, हम तनिक सा आहत होने पर आवेश में आकर सामने वाले को सबक सिखाने के लिए, अपने आप को अत्यधिक नुकसान पहुंचा देतें हैं।
**कुछ दिन पहले कश्मीरी लाल जी मेरे से बात कर रहे थे कि अलीगढ़ विश्वविद्यालय का एक सर्वे आया है जिसके अनुसार विद्यार्थी दिन में लगभग 150 बार मोबाइल खोलकर Facebook,WhatsApp या न्यूज़ देखते हैं..
बहुत से कार्यकर्ता भी प्रतिदिन 2:30 से 3 घंटे तक इस मोबाइल के विभिन्न सोशल मीडिया टूल्स पर लगा देते हैं।
यद्यपि सूचना प्रसारण के इस युग में यह बहुत उपयोगी है किंतु कितना समय लगाना,इसका विवेक तो रखना ही होगा।…जरा सोचिए।
~’स्वदेशी-चिट्ठी’