मैं कल बेंगलुरु में था।वहां के प्रसिद्ध डीम्ड टू बी जैन यूनिवर्सिटी में मेरा उद्बोधन था। 180 एमबीए व इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्र थे।जब मैंने पूछा कि “आप में से कितने ऐसे हैं जो केवल जॉब को प्राथमिकता देते हैं?”
तो पहली बार किसी संस्थान में 50% से अधिक ने उद्यमिता करेंगे, अपनी कोई कंपनी प्रारंभ करेंगे, इस पर हाथ खड़े किए। यही नहीं जब मैंने एंटरप्रेन्योरशिप के बारे में बताया कि “यह हाई क्वालिटी रोजगार है, जबकि जॉब लो क्वालिटी रोजगार है।” संभाषण के अंतिम चरण में जब मैंने दोबारा हाथ खड़े करवाए तो केवल 25..30% ही जॉब वाले रह गए थे,बाकी सब ने हम अपने कार्य में हाथ आजमाएंगे, ऐसा कहा।
बाद में मैंने पूछा तो वहां की प्रोफेसर भी बताने लगी कि “हां! अब बच्चे उद्यमिता में अधिक रुचि ले रहे हैं।वह नए विचार लाते हैं,कैसे वे नई कंपनी अपनी बना सकते हैं, इस पर प्रश्न पूछते हैं।मेरे द्वारा ऐसे महाविद्यालयों में बताए जाने वाले *उद्यमिता के पांच विचार* मैं देख रहा हूं कि अधिक स्वीकार्य हो रहे हैं।
21 अगस्त के विश्व उद्यमिता दिवस की तैयारी भी बहुत अच्छी चल रही है।भारत के सबसे प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थाओं जैसे UGC,AIU,AICTE ने भी विधिवत इस विषय में सारे देश में पत्र लिख दिए हैं।लगता है देश तेजी से उद्यमिता की तरफ बढ़ रहा है।
भारत का भविष्य उज्जवल है।भारत बेरोजगारी से मुक्ति की राह पर तेजी से बढ़ रहा है।