Search
Close this search box.

वर्तमान की मंदी और भविष्य की संभावनाऐं!

इस समय पर भारत के अर्थ क्षेत्र में मंदी की चर्चा है। जो की कुछ मात्रा में सच भी है। क्योंकि चर्चा तो गत तीन चार महीने से हो ही रही थी,किंतु 2 दिन पहले जो सरकारी आंकड़ा 5℅, जीडीपी का आया,वो गत 6 वर्षों में सबसे निम्नतम स्तर है।
इसके कारण क्या है?
पहला कारण तो है इस समय दुनिया भर में ही मंदी की स्थिति चल रही है। अमेरिका की ग्रोथ 3.1 से 2.1 पर तो यूरोप की तो केवल .6 रह गई है।चीन भी 6.4 से 6% पर आ गया है।
अमेरिका और चीन में चल रहे व्यापार युद्ध ने इस वैश्विक मंदी को और बढ़ा दिया है।भारत पर भी इसका असर है ही।चीन का युआन,रूपए के मुकाबले ज्यादा गिरा है।
दूसरी बात है ऑटोमोबाइल सेक्टर में इस समय पर पेट्रोल और डीजल की कारों के 2020 से BS-VI की घोषणा होने से ऑटोमोबाइल कंपनियां भी सोच रही हैं की उत्पाद कम किया जाए और ग्राहक भी सोच रहे हैं की इलेक्ट्रिक वहीकल लेना होगा तो उसका थोड़ा इंतजार किया जाए। वैश्विक मंदी से गत मास 30,000 कारें कम निर्यात हुई हैं।
एक बड़ा कारण है बैंकों व एनबीएफसी द्वारा ऋण दिए जाने को धीमा करना।क्योंकि 2010 से 2014 तक अंधाधुंध लोन दिए गए। जो तीन चार साल बाद एनपीए में परिवर्तित हो गए। इसके कारण से बैंक दिवालिया होने के कगार पर आ गए। सरकार ने एनसीएलटी कानून व अन्य प्रबंध कर बैंकों को बचा तो लिया किंतु बैंक व एनबीएफसी नए ऋण देने से संकोच कर रहे हैं। इससे मार्केट में पैसा कम आ रहा है।
तीसरी बात है इस वर्ष मानसून 12℅कम रहेगा इसकी घोषणा 3 महीने पहले मौसम विभाग कर दी। उसका परिणाम हुआ और सब ने अपनी खरीदारी कम कर दी कुछ अर्थशास्त्री एक छोटा कारण ऐसा भी बताते हैं कि मोदी सरकार आने के बाद मार्केट से ब्लैक मनी काफी मात्रा में आउट हो गया है।अब यह ब्लैक मनी जीडीपी के आंकड़े तो लाता ही था। क्योंकि जीडीपी यह नहीं देखतीे कि पैसा ब्लैक है या वाइट?
फिर इक्नॉमी के क्षेत्र में माना जाता है कि अर्थ का एक साइकल रहता है जो कुछ समय बाद नीचे आता ही है।सो इस समय में भी आया हुआ है।वैसे भी भारत में इस समय यह दो-तीन महीने श्राद्ध तक खरीदारी कम करने का स्वभाव ही है।
> अब सवाल है भविष्य में क्या होगा?
यह तो स्पष्ट है की इन नवरात्रों से ही लोगों में खरीदने की प्रक्रिया बढ़ेगी।पैसे का चलन होगा।चीजें ठीक होनी शुरू हो जाएंगी।
फिर सरकार ने भी अनेक कदम उठाए हैं।सुपर रिच टेक्स को कम कर दिया गया है। ऑटोमोबाइल से जीएसटी कम किया गया है। एक बड़ी बात रिजर्व बैंक ने 1.76लाख करोड रुपए सरकार को दिए हैं।इससे सरकार खर्च कर सकेगी यानी मार्केट में पैसा घूमेगा, और अर्थ चक्र ठीक हो जाएगा~यह कहना है गोल्डमैन सैश का। इसके अलावा बैंकों और एनबीएफसी को भी थोड़ा उदार होकर ऋण देने के लिए कहा गया है।रिजर्व बैंक ने रेपो रेट भी कम किया है।
भारत की युवा आबादी होने से कंजूमर इंडेक्स ऊंचा रहता ही है।इसलिए भारत में तो वैसे भी मंदी लंबे समय तक टिक नहीं सकती।
अतः भविष्य उज्जवल है।लगता है नवरात्रों से देश की आर्थिक तस्वीर भी निखरने लगेगी।
जय स्वदेशी जय भारत…कल रविवार को झारखंड प्रान्त के सम्मेलन में राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल जी व संयोजक अरुण ओझा जी।
३ वर्ष पूर्व लिखी स्वदेशी चिठ्ठी

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

YOU MIGHT ALSO ENJOY

FOLLOW US

Facebook
Twitter
LinkedIn
LinkedIn
WhatsApp
Telegram