आज मैं जब प्रवास पर गुरुग्राम पहुंचा तो स्वदेशी के कार्यकर्ता वीर सिंह जी लेने के लिए आए।गाड़ी में बैठते ही वे शुरू हो गए “अरे, सतीश जी! मजा आ गया! मुझे अमेरिका से फोन आया है, वहां से फोन आया है। हमने तो जलेबी बांटी…आदि आदि।
मैं सुनता जा रहा था। वह महाराष्ट्र में हुई जीत के बारे में बड़े उत्साह से बोले जा रहा था । मैंने ज्यादा उत्तर नहीं दिया तो भी वह बोल रहा था “एक है तो सेफ हैं”.. नारा खूब चला है। हिंदू समाज को जात-पात में बांटने चले थे विरोधी …वह उत्साह से चुप नहीं हो रहा था।
किंतु मैं सोच रहा था कि “यह तो स्वदेशी का कार्यकर्ता है, फिर जीत तो महाराष्ट्र में हुई है इसका कोई वहां सगा संबंधी भी नहीं। कोई इसका काम निकलना नहीं।फिर भी यह इतना खुश क्यों हो रहा है?”
तो मेरे मन में ही उत्तर आया “एक तो यह विचार परिवार के संगठन का है, इसलिए अपनापन है। और उससे भी बड़ी बात है कि इसको हिंदुत्व की विजय हुई है, इसका एहसास है। हिंदुत्व और देशभक्ति ही जोड़ती है। वही कनेक्शन है मुंबई और गुरुग्राम का। यह एक राष्ट्र है…एक मन है।
अगर केरल के हिंदू को तकलीफ होती है तो निराशा हरियाणा के कार्यकर्ता को होती है, अगर महाराष्ट्र में जीत होती है, तो खुश त्रिपुरा में बैठा हिंदू भी होता है।
क्यों न हो? हम सब एक राष्ट्र, एक मन के है। सबको बधाई! राष्ट्रीय यज्ञ की साधना यों ही निरंतर चलती रहे~सतीश
आज कुरुक्षेत्र में संविधान दिवस पर कश्मीरी लाल जी मुख्य वक्ता रहे। अध्यक्षता मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जी ने की। साथ में वाइस चांसलर सोमनाथ सचदेवा व अन्य