कल रात मैं मुरादाबाद में था। सायं 7:00 बजे होंगे, जब अपने विचार विभाग प्रमुख डॉ राजीव जी ने मुझे खुश आवाज़ में कहा “अरे सतीश जी! यह देखो, सुनो! जो बात स्वदेशी जागरण मंच गत दो-तीन वर्षों से कह रहा था,आज उसे सरसंघचालक जी ने भी स्पष्ट बोलकर अपना आशीर्वाद दे दिया है।”
मैंने भी उत्सुकता से पूछा “कौन सी बात?”
वह बोले “वही कि हमारी जन्मदर(TFR )प्रति महिला 1.9 पर आ गई है और होनी चाहिए 2.1 से ऊपर, उसी के बारे में।”
मैंने भी तुरंत फ़ोन उठाया और उत्साह से यूट्यूब खोला तो इंडिया टुडे टीवी पर डिबेट हो रही थी।मोहन जी भागवत ने कल नागपूर के एक कार्यक्रम में बोलते हुए स्पष्ट कहा “जिस समाज की आबादी कम होने लगती है वह समाज, संस्कृतियां विलुप्त हो जाती है,हमें ऐसा नहीं होने देना चाहिए। इसलिए भारत को प्रति परिवार तीन बच्चे करने की योजना करनी ही होगी।”
यद्यपि किसी को यह अटपटा लग सकता है,क्योंकि आज तक यही सुनते आए हैं कि कम बच्चे होंगे तो विकास अच्छा होगा। यह तब सच था जब हमारे यहां पर प्रति परिवार चार-पांच बच्चे हो रहे थे। किंतु अब नहीं। अब तो उलटा न्यूनतम दर 2.1 से भी नीचे 1.9 आ गई है। और हमें इसका पता ही नहीं चला, जो की गत 3 वर्षों से ऐसा हो गया है।
इधर सेकुलरी शोर कि बच्चे कम करो, उधर न्यूनतम दर से भी नीचे आ गए और जनसंख्या सिकुड़ने का खतरा हो गया है।
जिस समस्या से चीन, जापान और कोरिया बुरी तरह से ग्रस्त हो गए, और अब रो रहे हैं,वह समस्या भारत में भी आ पहुंची है। इसे तुरंत ठीक करना होगा।
यही बात आज समाज के मुखिया (सरसंघचालक जी) ने कही है।समाज परिवार के बड़े को समाज को सचेत और स्पष्ट मार्गदर्शन देना ही था, दिया भी।अभिनंदन! सत्यमेव जयते!~सतीश