#स्वदेशीचिट्ठी
सारे देश में एक साथ चुनाव हों, इसको लेकर भारत के मंत्रिमंडल ने कल एक बिल पारित कर दिया है। अब यह दोनों सदनों में जाकर पारित होगा और कानून बनेगा।
लेकिन इस पर पहले से ही राजनीति शुरू हो गई है।वास्तव में तो ऐसे राष्ट्रीय मुद्दों पर किसी भी देश में आम सहमति बननी चाहिए। क्योंकि यह मुद्दा राजनीति का है ही नहीं, यह तो देश के विकास, प्रगति का और समय व धन की बर्बादी से बचने का सर्वोत्तम विचार है।
एक रिपोर्ट के अनुसार यदि सामूहिक चुनाव हो गए तो जीडीपी में 1 से 1.5% तक बढ़ावा मिल सकता है।
हर दो-तीन महीने बाद किसी न किसी राज्य में चुनाव लगे रहते हैं। ऐसे में सरकारों का ध्यान देश के विकास,प्रशासन आदि पर जाता ही नहीं। बस सभी चुनाव में लगे रहते हैं, जिससे जरूर बचना चाहिए।
फिर देश की आजादी के बाद के 20 वर्ष लगातार एक साथ चुनाव होते ही थे।1967 से आगे पीछे शुरू हुआ।अभी भी अनेक देशों में एक साथ चुनाव होते ही हैं।
यह बिल कुछ स्वार्थी और राजनीतिक दलों को नहीं सुहा रहा।यह तो शुद्ध राजनीति है।
किंतु समाज को एकजुट होकर इसका समर्थन करना चाहिए। यह राजनीतिक प्रस्ताव नहीं है, देश के विकास व अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ आवश्यक कानून है।~सतीश
आज स्वदेशी जागरण मंच के पहले अखिल भारतीय संगठके मुरलीधर राव जी कार्यालय पर आए तो उनसे लंबी चर्चा हुई। फिर कल बाबू गनु का बलिदान दिवस था प्रयागराज में कार्यकर्ता।