एक नया आईनस्टीन चला गया! इंग्लैड में जन्में स्टीफन हाकिन्स 76 वर्ष कीआयु में चले गए! जिसका 92% शरीर का हिस्सा बेकार हो गया हो,वह दुनिया को उसकी उत्पति व गति के बारे में नयी खोज दे रहा हो! कमाल है! 21 वर्ष में ही जिसे पता चल गया हो कि उसे एक ऐसी बिमारी है,जिससे उसके शरीर के अंग धीरे धीरे निष्क्रिय हो जाऐंगे,फिर भी इतना बड़ा निश्चय!और वही हुआ भी! उसकी टागों ने 30 वर्ष में चलना बंद कर दिया तो व्हीलचेयर पर आ गए! फिर 4साल बाद हाथों ने काम करना बंद कर किया! 2 साल बाद जबान चली गई! इच्छाशक्ति क्या होती है कि ठोडी से हिलाकर वे संकेत करते व मशीन (computerised ) से बोलना शुरू किया! अंत के तीस वर्ष तो केवल मस्तिष्क ह्रदय व आंखो को छोड़ सब शान्त हो गया पर यह अतिमानव space science के सत्य की खोज मानवता हेतू करता रहा! ईश्वर सहित किसी से कोई शिकायत नहीं! राजी हैं हम उसी में जिसमें तेरी रज़ा है- यहां यूं भी वाह वाह है, वहां तो वों भी वाह वाह है…
ऐसी स्थिती में इस व्यक्ति ने Black Hole, Time n space पर शोध ग्रंथ लिख दिया जिसकी 10 लाख प्रतियां बिक गईं!अन्य चार बड़े Research paper छाप लिए! भारत सहित दुनियाभर का दौरा किया! कहने की बात नहीं कि दुनिया भर के अवार्ड हाकिन्स को मिले! क्या दम है कि कि उन्होनें अंतरि़क्ष में zero gravity में उडने का निश्चय किया व नासा ने उन्हें यह अनुभव दिलाया भी! ….गैलिलियो की पुण्यतिथि के दिन जन्म और आईन्सटीन के जन्मदिन पर देहांत,क्या कोई ईश्वरीय संकेत का प्रतीक है…जो भी हो इस अतिमानव को ‘A GRAND SALUTE’…- सतीश
नीचे गत दिवस लुधियाना की स्वदेशी टोली परिवार सहित रोजगार,परिवार, पर्यावरण व स्वदेशी मेले आदि की चर्चा हेतू बैठी,सहभोज भी हुआ…