



याचिका हस्ताक्षर अभियान #पेटेंटफ्रीवैक्सीन हेतु। डिजिटल फ़ार्म भरते स्व. जा. मंच के सुन्दरम जी, भगवती जी, कश्मीरी लाल जी, व मैं। आपने भी भर दिया या नहीं?
मैं कल टेलीविजन देख रहा था। मुंबई महानगर की मेयर, ग्लोबल टेंडर (वैक्सीन का) देने की बात, ऐसे बोल रही थी, जैसे वह कोई बड़ी उपलब्धि कर रही हो।
किंतु यह ग्लोबल टेंडर का विचार, न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि देश की छवि को तार-तार करने वाला भी है। क्योंकि ऑक्सीजन के विषय में विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों ने हो-हल्ला बहुत मचाया, तो इस बार वैक्सीन के मामले पर केंद्र सरकार ने उन्हें छूट दे दी।
और ये मुख्यमंत्री गण लग गए, ग्लोबल टेंडर की घोषणाएं करने।
शुरुआत राजस्थान व दिल्ली ने की। किंतु दुनिया में कहीं पर भी इस समय पर वैक्सीन दूसरे देश के लिए है ही नहीं। भारत ही दुनिया की 60% वैक्सीन बनाता है। अमेरिका की कंपनियां पहले अमेरिका और यूरोप को ही देने वाली हैं और यदि रूस की स्पुतनिक आई है, तो केंद्र के प्रयत्न से आई है। केवल चीन इस परिस्थिति का फायदा उठाकर कुछ राज्यों को बहुत थोड़ी मात्रा में भेज सकता है लेकिन यह दुनिया भर में भारत की छवि को बर्बाद करेगा, कि यहां के मुख्यमंत्री अपनी केंद्र सरकार पर विश्वास नहीं करते, चीन पर करते हैं।
मिलना कुछ है नहीं और अपनी स्वदेशी कंपनियों पर, केंद्र सरकार पर भरोसा रखे बिना यह पग उठाया है, जो कि सर्वथा अनुचित है।
मुख्यमंत्रियों को इन्हें तुरंत वापस लेना चाहिए।
स्वदेशी जागरण मंच ने न केवल इस विषय का अध्ययन किया है, बल्कि संबंधित पक्षों से बात भी की है। भारत की ही वैक्सीन अगले 3 से 4 महीने में भरपूर मात्रा में आ जाएगी, स्वदेशी पर, भारत पर विश्वास रखें तभी विजय होगी।
~सतीश कुमार
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