
2 दिन पूर्व भारत के प्रसिद्ध चिकित्सक पद्मश्री डॉ के के अग्रवाल करोना की जंग में लड़ते हुए,भारत को बचाते हुए अंततः स्वयं शहीद हो गए।वह 62 वर्ष के थे।
उन्हें शहीद क्यों कहना मेरे मन में प्रश्न था?
लेकिन फिर सोचा कि जो सीमा पर शहीद होते हैं,वह भी तो देश की, लोगों की रक्षा ही कर रहे होते हैं।डॉ अग्रवाल ने भी वही किया।बस इतना ही फ़र्क है कि उनका मोर्चा दिल्ली का हस्पताल था।
वे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष थे। उनका अंतिम वीडियो “पिक्चर अभी बाकी है। शो चलते रहना चाहिए।” सारे देश ही नहीं, दुनिया में वायरल हो रहा है।यह राजकपूर की पुरानी फिल्म का डायलॉग है। जो उन्होंने कोरोना से ग्रसित होने पर आईसीयू में से ही फेसबुक पर अपनी पोस्ट में दिया।
“क्या जीवंत उदाहरण है?” उन्होंने 10 करोड़ लोगों को कोरोना के बारे में शिक्षण देने,बचाने का संकल्प लिया हुआ था।…इसलिए!
वे जब सीटी स्कैन के लिए जा रहे थे तब भी उन्होंने वहीं हस्पताल से विडियो जारी किया…डरने की कोई बात नहीं।अभी बहुत काम करना है।” क्या दमदार बात है?
उनके मित्रों ने बताया कि उनकी एक ही इच्छा थी कि “मैं काम करते-करते मरीजों को बचाते बचाते ही मरू और वही हुआ भी।”
डॉ के के अग्रवाल जैसे जिंदादिल इंसान बहुत वर्षों बाद पैदा होते हैं।उन्हें शत-शत प्रणाम।
लता मंगेशकर का पुराना गीत याद आ रहा है
“ऐ मेरे वतन के लोगों..जरा आंख में भर लो पानी।
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी”~सतीश कुमार
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