

-40 डिग्री की कड़कड़ाती, जमा देने वाली सर्दी में भी भारतीय सेना ने बहुत अच्छी तैयारी की है। दक्षिण लद्दाख की चोटियों पर भारतीय सेना ने कब्जा कर अच्छी पोजीशन ले रखी है,इसी से चीनी सेना परेशान है।
वास्तव में 1984 में सियाचिन वापिस हथियाने के बाद से भारत के पास इस बर्फीले क्षेत्र में सीमाओं की रक्षा करने का अच्छा अनुभव है।और चीनी सेना ने कभी इतने कम तापमान पर काम नहीं किया है।इसके कारण से वे अधिक परेशानी में हैं। उन्हें वहां पर बेतहाशा खर्च करना पड़ रहा है।
हद तो तब हुई जब भारतीय सेना द्वारा जारी अपने टेंट का वीडियो चीन के भी मीडिया पर देखा गया,चीनी इसकी चर्चा कर रहे हैं।यह टेंट ऐसे हैं,की ऊपर चाहे कितनी भी बर्फ पड़े,इनमें ऑक्सीजन व गर्मी तो पूरी रहती ही है 4 महीने तक शौच,पानी मेडिकल सुविधा व अन्य आवश्यक चीजें भी अन्दर पूरी रहती हैं।
दरअसल ग्लोबल टाइम्स यही फैला रहा था कि भारत के पास इतनी ठंड में काम आने वाला ढांचा है ही नहीं उन्हें पीछे हटना ही पड़ेगा।पर अब कुछ उल्टा हो रहा है कि चीनी सेना के ही पसीने छूट रहे हैं।
फिर भारत के पास इंडो तिब्बत बॉर्डर फोर्स है जिसके 10000 सैनिक इन इलाकों के ही रहने वाले हैं जिन्हें इतने कम तापमान पर काम करने का जीवन भर का अनुभव है।बुखारी,सिगड़ी के उपयोग के आदि हैं।
जो भी हो हमें सलूट करना होगा अपने इन 50000 सैनिकों को जो देश की सीमा के लिए रक्षा के लिए डटे हैं ताकि हम सर्दियों में अपने कमरे में भी कंबल और रजाई ओढ़ कर सुख की नींद सो सके।~सतीश कुमार
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