अजय दत्ता जी से बातचीत करते हुए
आज मैं कुछ दिनों की खांसी से परेशान होकर चंडीगढ़ के भारत विकास परिषद के प्रकल्प में कुछ टैस्ट कराने गया।
वहां अपने अजय दत्ता जी बैठे थे,जो परिषद के सैक्ट्री जनरल हैं व इस प्रकल्प की पूरी देखरेख करते हैं,वे मेरे से कहने लगे “सतीश जी!पहले यह अपना प्रकल्प देख व समझ तो लो।”
और जब मैंने उनके साथ घूम कर सारा हस्पताल देखा,तो मैं ना केवल दंग रह गया बल्कि अपने लोगों के सेवा भाव का यह बड़ा प्रकल्प देखकर गर्व से भी झूम उठा।
अजय जी ने बताया की प्रतिदिन 1500रोगी यहां पर आते हैं और जो ₹250 का टैस्ट है वह यहां केवल ₹80 में हो जाता है!ऐसे ही ₹500 फीस लेकर देखने वाला डॉक्टर यहां पर ₹50 में ही देख लेता है!”
15 साल से चल रहा यह प्रकल्प इस समय पर चंडीगढ़ का एक बड़ा सेवा केंद्र करके उभरा है।कुल 41 डॉक्टर व 60 कर्मचारी यानी कुल 101 लोग यहां पर नियमित रूप से कार्य कर रहे हैं। यूं कहें, रोजगार भी पा रहे हैं।
फिर मैंने पूछा “इस सारे के लिए बड़ी धनराशि कहां से आती है?”
तो अजय जी ने कहा “हिंदू समाज ही देता है।”
और उन्होंने कुछ उदाहरण बताएं कि कैसे-कैसे लोगों ने लाखों रुपया यहां दान कर दिया। केवल इस विश्वास पर कि ये संघ के लोग हैं।एक भी रुपया बर्बाद नहीं करते और सच्चे मन से सेवा कार्य करते हैं।
मुस्लिम, क्रिश्चियन किसी में कोई भेदभाव नहीं।
स्वयं पीजीआई ने भी केवल उसे ही अपना रिकॉग्नाइज्ड प्रोजेक्ट माना है।
राष्ट्रपति ने भी इस प्रकल्प को पुरस्कृत किया है।
सेवा के क्षेत्र में अपने लोग चुपचाप कैसी साधना कर रहे हैं। यह उनके मुकाबले में कहीं श्रेष्ठ है कि जिसमें क्रिश्चियन मिशनरी,सेवा जितनी करते हैैं,उससे कई गुना अधिक दिखावा करते हैं।
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