कल कश्मीरीलाल जी उज्जैन में स्वदेशी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए,साहसी पायलट अभिनंदन का स्कैच व अपने बचपन के मित्र दलीप के घर बहुत दिनों बाद जाने पर।
गत कुछ दिनों से भारत पाकिस्तान की जो हवाई जहाजों की लड़ाई हुई वह सब तरफ चर्चा में है।
जिसमें हमारा पायलट अभिनंदन पाकिस्तान में उतरा व लौटा।उधर F-16 का पाकिस्तानी पायलट,शहाबुद्दीन,वहीं की जनता द्वारा मारा गया।
एक सवाल,जो सारी दुनिया में घूम रहा है कि 45 वर्ष पुराने मिग विमान जिसे सामान्य भाषा में खटारा विमान कहेंगे,उसने अत्याधुनिक F-16 विमान को कैसे मार गिराया?
27 फरवरी सवेरे 10 बजे जैसे ही पाकिस्तान के 24 विमान भारतीय सीमा में घुसने वाले थे,श्रीनगर के एयर कंट्रोल टावर ने 10 किलोमीटर पहले ही,उनको देख लिया।यद्यपि वह विमान अठारह सौ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से भारतीय सीमा में घुस रहे थे, किंतु केवल 4 मिनट के अंदर ही भारतीय विमान उनको खदेड़ने के लिए श्रीनगर के एयरबेस से उड़ चुके थे।
उनका पीछा शुरू किया। अभिनंदन ने F-16 विमान के ठीक पीछे अपने मिग विमान को लगाया। यद्यपि उसको संकेत आया कि वापस लौट सकते हो, क्योंकि F- 16 वापस भाग रहे थे। किंतु अभिनंदन ने रेडियो संदेश भेजा R-73 लॉकड (यह मिसाइल का नाम था जो उसने F-16 पर मारने के लिए सिलेक्ट कर ली थी) और तुरंत फायर कर दिया।
किंतु फायर करते ही जब मिग विमान लौटने लगा तो एक पाकिस्तानी विमान ने उस पर मिसाइल दाग दी जिससे हमारा मिग विमान गिरने लगा पर अभिनंदन पैराशूट से कूद गया।
अभिनंदन की वापसी की कहानी तो सबने सुनी है।पर सवाल है कि ऐसा कैसे हो गया? वास्तव में हमारी सेना का प्रशिक्षण,सैनिकों का साहस और इच्छाशक्ति यह इतनी प्रबल है कि उसके कारण से उन्नत किस्म के विमान होते हुए भी पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी।
1965 में भी कुछ ऐसा ही हुआ था जब अमेरिका के पैटन टैंक लेकर पाकिस्तान ने भारत पर हमला बोला था। किंतु भारतीय जवानों ने नदी का पानी छोड़ दिया उसमें पैटन टैंक फंस गए और अंततः भारतीय गोलाबारी के सामने विवश हो, अपने टैंक छोड़कर वापस भाग गए।
इसी को गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा था “चिड़ियों से मैं बाज लड़ाऊं,सवा लाख से एक लड़ाऊं, तबे गोबिंदसिंह नाम कहांऊं”
…अभी कहना हो तो “F-16 से मिग-21,लड़ाऊं तभी भारतीय जवान कहांऊं.!”
इसी प्रकार से यह भी चर्चा चल रही है कि जब 26/11,2006 को मुंबई पर हमला हुआ तब भारत ने एयर स्ट्राइक्स क्यों नहीं किये?
एयर स्ट्राइक करने का निर्णय करना,यह मनमोहन सिंह जैसे व्यक्ति का काम था ही नहीं।इसके लिए अदम्य इच्छाशक्ति व साहस की जरूरत होती है जो नरेंद्र मोदी और अजीत डोभाल फिर दिखाई,2016में सर्जिकल स्ट्राईक करके भी दिखाई थी।
इसलिए विजय का निर्णायक तत्व, उन्नत हथियार नहीं,नेतृत्व का साहस व इच्छाशक्ति ही होता है।
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