

आजकल कश्मीरी लाल जी, राजस्थान के आठ दिवसीय प्रवास पर हैं। दत्तोपंत ठेंगड़ी जन्म शताब्दी के समापन कार्यक्रम बहुत अच्छे हो रहे हैं। जोधपुर के चित्र
आज सवेरे शाखा के बाद टहलते हुए चाय पीने की इच्छा हुई तो मैं पीछे की मार्केट में एक चाय वाले खोखे पर रुक गया। एक चाय पी साथ में फैन लिया। बाद में जब मैंने पैसे दिए 20 रु., तो उसने 2, 1, 5 के 3 सिक्के मेरी तरफ बढ़ा दिए। मुझे आश्चर्य हुआ।मैंने सोचा कि उससे गलती हुई है क्योंकि 10 की चाय व 5 का फैन तो होता ही है। लेकिन उसने कहा “नहीं बाबूजी! 10 की चाय व 2 का ही फैन है।” तो मैंने 5 का और एक के सिक्के उठा लिये और 2 का सिक्का उसकी तरफ बढ़ा दिया, बिना कुछ कहे।
उसने मेरी आंखों में आंखें डाल कर देखा और मुस्कुराया उसकी यह मुस्कुराहट 200 रु. से कहीं अधिक की थी,जो मुझे केवल 2 रु. में मिली थी। मैंने सोचा मैंने आज बड़े फायदे का सच्चा सौदा किया है, ठीक है ना बात?
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