कोई निराशा नहीं! करो,चंद्रयान-3 की तैयारी।
हां!यह ठीक है कि आज के दिन आप सब लोगों का मन दुखी है।आपका ही क्यों, सारा देश दुखी है। chandrayaan-2 अपेक्षित सफलता को प्राप्त नहीं कर पाया।
निराश होना स्वाभाविक भी है। हां, अंतिम लक्ष्य भी सदैव ध्यान रखना चाहिए।तत्कालीन निराशा तो होती है।तत्कालिक निराशा तब भी हुई थी,जब लक्ष्मण मूर्छित हुए थे।…तब भी हुई थी जब महाभारत में अभिमन्यु मारा गया था।.. तब भी हुई थी जब कोंडाना दुर्ग को विजयी करते हुए तानाजी मालुसरे मारे गए थे। निराशा तब भी हुई थी जब 1984 में वाजपेई जी का नेतृत्व होते हुए भी भाजपा को केवल 2 सीटें आई थी।
किंतु जिनका ध्येय परमवैभवने तुमेतत्स्वराष्ट्रम होता है वे रुकते नहीं।लक्ष्मण मूर्छा के बाद राम ने विजय पाई ही, पांडवों ने युद्ध जीता ही, सिंहगढ़ विजई हुआ ही, और भाजपा भी 303 पर आई ही है।
फिर इस समय तो आपको कोई दोष दे ही नहीं रहा। प्रकल्प विफल हुआ है,आप नहीं।आपके पीछे तो बच्चे से लेकर इस देश के प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति, सब खड़े हैं,तो चिंता क्या?
इसलिए उठो! और तुरंत चंद्रयान-3 की तैयारी शुरू करो।कहां चूक हुई, इसका सटीक विश्लेषण करना और तुरंत सफलता के लिए जुट जाना। इस विफलता के निष्कर्षों को अगली सफलता का आधार बनाना। यही कर्मवीरों का मार्ग है। यही गीता का संदेश है। यही इसरो के वैज्ञानिकों को सारे देश का निवेदन और आदेश है। तुम हमारे सेनापति हो,सेनाओं को पूरी तरह तुम्हारे पर विश्वास है। आगे बढ़ो और लक्ष्य प्राप्ति होने, विजयी होने तक मत रुको!
…journey breaks,but mission continues.
निवेदक: भारतीय मन
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