कलियां, सुमन, सुगन्धों वाला,
यह उद्यान स्वदेशी हो।
हर क्यारी, हर खेत स्वदेशी,
हर खलिहान स्वदेशी हो।।
तन-मन-धन की, जनजीवन की
प्रिय पहचान स्वदेशी हो।
मान स्वदेशी, आन स्वदेशी,
अपनी शान स्वदेशी हो।
वीर शहीदों के सपनों का,
हर अभियान स्वदेशी हो।
एड़ी से चोटी तक सारा,
हिन्दुस्तान स्वदेशी हो।।
भारत माता के मंदिर में, बहुत प्रदूषण बढ़ा दिया।
लोकतंत्र को अनर्थ बनाकर, स्वदेशी को भुला दिया।
समझौतों की बात यहां पर,
होती है हत्यारों से।
भारत की कुछ गलियां गूंजे,
परदेसी जयकारों से।।
बलिदानों की इस धरती पर,
मां का गान स्वदेशी हो।
एड़ी से चोटी तक सारा, हिन्दुस्तान स्वदेशी हो।।
सोने वालों सोना छोड़ो,
जागो सोना, सोना लो।
आज विदेशों के कब्जे से,
वतन का कोना-कोना लो।उन्नतियों के इन गीतों का
हर सोपान स्वदेशी हो।
एड़ी से चोटी तक सारा, हिन्दुस्तान स्वदेशी हो।।
Ye desh hai mera,swadesh hai mera
मैं जीवन भर स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करूंगा
मैं मेरे दैनिक जीवन में महतम स्वदेशी ही प्रयोग करता हूँ…
स्वदेशी के उपयोग से ही हम भारत को विश्व गुरु बना सकते हैं.
It’s a dired need for to make our
desh “Bharat” a truly complete nation.
अत्यंत उत्कृष्ट प्रयास
Good initiative..lets us join together to buycot videshi products..thank u..jai Hind..Bharat mata ki jai..Jai sri ram