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अथाह धन या ऊँचे पदों में नहीं सेवा, समर्पण में है सुख और शांति…

4 दिन पहले मुझे मध्यप्रदेश के बेतूल में वनवासी क्षेत्र में गत 32 वर्षों से वनवासियों की सेवा संभाल व पर्यावरण संवर्धन का काम कर रहे,एक ऐसे सज्जन की जानकारी मिली जो पूर्व RBI गवर्नर– रघुराम राजन के भी अध्यापक रहे हैं!
प्रो:आलोक सागर M.Tech करके ह्यूस्टन विश्विद्यालय से Phd. करके आये। दिल्ली IIT में प्रोफेसर के पद पर पढ़ाने लगे…ऊँचा पद, ऊँची तनख्वाह!
किन्तु एक दिन इस्तीफा दे वनवासियों की सेवा हेतु पहुँच गए बेतुल के जंगलों में!
उन्हीं के बीच, उन्ही के जैसा होकर! उनकी सेवा में ही जीवन का आनंद मान रहे हैं!50,000 पेड़ अभी तक लगा चुके हैं…
काफ़ी वर्ष हुए अमेरिका के बड़े उद्योगपति FORD का नाती हरे रामा हरे कृष्णा का अनुयायी हो गया! कहा “यह मेरी सम्पति नहीं,ये तो राम की है कृष्ण की है… इस पर उनके अनुयायियों का ही अधिकार है..!
रूस के तानाशाह स्टालिन की लड़की स्वेतलाना जब भारत आई तो गंगा किनारे शेष जीवन यापन का विचार प्रकट किया…क्यों?क्यों?क्यों?
एक ही कारण… सुख और शांति!!
आप भी सोचिए…सत्यम शिवम् सुंदरम!!
~सतीश–‘स्वदेशी-चिठ्ठी’
(प्रोफेसर आलोक सागर साइकल पर, व् जगन्नाथ रथ यात्रा की सेवा में विदेशी भी..)

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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