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Brainstorming session on “भारत @2047 समृद्ध एवं महान भारत” Report
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About Us

SWADESHI SWAWLAMBAN NYAS is a Social Trust working in the field of making Bharat Self reliant

Swadeshi is an ideological movement promoting swavavlamb through the use of indigenous goods and services. It symbolizes love for the nation and was key in India's fight for independence. Leaders like Mahatma Gandhi, Dattopant Thengadi, and Deendayal Upadhyay championed it to strengthen India’s economy. The goal is to reduce dependence on foreign products and revive India's production capabilities, fostering a prosperous, self-reliant nation.

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OUR MENTORS

आर. सुन्दरम

आर. सुन्दरम

अ. भा. संयोजक - स्वदेशी जागरण मंच
भगवती प्रकाश शर्मा

भगवती प्रकाश शर्मा

अ. भा. सह संयोजक - स्वदेशी जागरण मंच
    कश्मीरी लाल

    कश्मीरी लाल

    संगठक, स्वदेशी जागरण मंच
      सतीश कुमार

      सतीश कुमार

      सह संगठक, स्वदेशी जागरण मंच

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        (Swadeshi Correspondence: Towards a Stronger India)
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        Our Dimensions

        1991-92 में भारत ने अपने आर्थिक संकट से बाहर निकलने का प्रयास किया और बाजार अर्थव्यवस्था के मॉडल पर आधारित अपनी नई आर्थिक नीतियों को अपनाना शुरू किया, पूंजीवादी मॉडल भी भारत की प्रकृति, इच्छाओं, अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं था, जिसकी प्रेरणा और मानक का स्रोत अमेरिका और यूरोप की अर्थव्यवस्थाएं थीं। तब दत्तोपंत ठेंगड़ी जी, जिन्होंने इस देश को भारतीय मजदूर संघ और भारतीय किसान संघ जैसे बड़े संगठन दिए थे, ने इस प्रतिमान को चुनौती दी और स्वदेशी जागरण मंच का गठन किया। भारत की अर्थव्यवस्था को उसकी प्रकृति और अपेक्षाओं के अनुरूप विकसित करने के लिए, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के जाल से सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने कई प्रकार के आंदोलन और जनजागरण कार्यक्रम चलाए। आज उसी स्वदेशी जागरण मंच और संबद्ध आर्थिक समूहों ने रोजगार सृजन के लिए एक व्यापक पहल की है जिसे स्वावलंबी भारत अभियान के रूप में जाना जाता है।

        भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए महत्वपूर्ण स्वदेशी आंदोलन को 1980 के दशक में आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए पुनर्जीवित किया गया था। 22 नवंबर, 1991 को विभिन्न संगठनों के नेताओं द्वारा नागपुर में स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) की स्थापना की गई थी। एसजेएम ने 12 जनवरी, 1992 को केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ स्वदेशी सिद्धांतों की वकालत करते हुए एक बड़ा अभियान शुरू किया। आज, 15 से अधिक संबद्ध संगठनों और एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क के साथ, एसजेएम स्वदेशी उत्पादों, सांस्कृतिक मूल्यों और व्यावसायिक विकास को बढ़ावा देने के लिए काम करता है, जो राष्ट्रीय नीति और जमीनी स्तर के आंदोलनों को प्रभावित करना जारी रखता है।

        स्वावलंबन भारत न्यास द्वारा स्थापित स्वदेशी शोध संस्थान का उद्देश्य भारत की समृद्ध विरासत और स्वदेशी शिल्प कौशल को पुनर्जीवित करना और बढ़ावा देना है। पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करने और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित, संस्थान स्थानीय कारीगरों और टिकाऊ जीवन शैली का समर्थन करने के लिए अनुसंधान, शैक्षिक कार्यक्रम और वकालत करता है। कार्यक्रमों और कार्यशालाओं के माध्यम से, यह स्वदेशी मूल्यों के बारे में जागरूकता बढ़ाता है और स्थानीय संसाधनों के उपयोग को प्रोत्साहित करता है, अपनी सांस्कृतिक विरासत में गहराई से निहित एक आत्मनिर्भर भारत बनाने का प्रयास करता है।

        स्वदेशी की अवधारणा 150 साल से भी ज़्यादा पुरानी है। लोकमान्य तिलक, वीर सावरकर, श्री अरबिंदो और महात्मा गांधी के दूरदर्शी नेतृत्व में यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति थी। ब्रिटिश उपनिवेशवाद से आज़ादी के दशकों बाद भी यह महसूस किया गया कि पूर्ण आर्थिक आज़ादी के लिए जीवनशैली में स्वदेशी को अपनाना ज़रूरी है। 1980 के दशक में विभिन्न सामाजिक राजनीतिक संगठनों ने स्वदेशी के लिए एक व्यापक अभियान चलाया। इस आंदोलन ने जीवनशैली में स्वदेशी और स्वदेशी के महत्व के बारे में समाज में जागरूकता फैलाने में मदद की। इस आंदोलन को मूर्त रूप देने के लिए स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) की स्थापना करने का निर्णय लिया गया। तदनुसार, 22 नवंबर 1991 को नागपुर में एसजेएम अस्तित्व में आया।

        Dattopant Bapurao Thengadi was an ideologue, trade union leader and founder of the Swadeshi Jagaran Manch, Bharatiya Mazdoor Sangh and the Bharatiya Kisan Sangh. He was born in Arvi, Wardha, Maharashtra. Thengadi was a full-time Rashtriya Swayamsevak Sangh pracharak until his death on 14 October 2004.

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        Thoughts That Inspire Us

        Satish Kumar has spoken positively about the Swadeshi Jagran Manch (SJM) and its initiatives related to promoting local self-reliance (Atmanirbharta). He highlighted the importance of digital technology and local efforts to ensure the growth of Swadeshi in all regions. For example, he emphasized the need to use digital platforms across all districts and advocated for training programs to engage volunteers effectively. His vision includes expanding swadeshi efforts by fostering entrepreneurship and economic independence at the grassroots level​( Swadesh Online )​( Join Swadeshi ).

        सतीश कुमार जी (अखिल भारतीय  सह संगठक)

        Kashmiri Lal, a prominent leader of the Swadeshi Jagran Manch (SJM), is known for advocating economic self-reliance in India. He strongly believes in fostering small businesses and local economies to achieve Atmanirbharta (self-reliance). According to him, for India to truly become self-sufficient, efforts must begin at the grassroots level—focusing on villages, districts, and states. He emphasizes six key strategies for achieving this: understanding local economies, creating swadeshi product lists, organizing fairs, business meetings, policy interventions, and organizational expansion​( Swadesh Online )​( Join Swadeshi ).

        कश्मीरी लाल जी (अखिल भारतीय संगठक)

        R. Sundaram, the National Convenor of the Swadeshi Jagran Manch, has emphasized the importance of India achieving self-reliance, particularly in economic matters. He has supported major government initiatives like demonetization, stating it helped reduce black money and strengthened the banking sector. Sundaram has also expressed optimism about India’s economic growth, believing that the country could achieve its goal of a $10 trillion economy by 2030 while focusing on environmental sustainability and reducing poverty and unemployment​( Lotus Times )​( VSKDTN News ).

        आर. सुंदरम जी (राष्ट्रीय संयोजक)

        Bhagwati Prakash Sharma, a prominent figure associated with Swadeshi Jagran Manch (SJM), has been a strong advocate for an indigenous economic model. He emphasizes the need for self-reliance, especially in the post-COVID era, and critiques the existing global financial systems, such as the World Trade Organization (WTO), International Monetary Fund (IMF), and World Bank, as being outdated and skewed in favor of developed nations. Sharma calls for the restructuring of these institutions to better support emerging economies like India. His proposals focus on fostering balanced economic recovery, promoting local industries, and ensuring economic self-reliance, with a vision for India to become a developed nation by 2047​( Swadesh Online )​( Organiser ).

        भगवती प्रसाद शर्मा (अखिल भारतीय सह संयोजक)

        Dharmendra Dubey has been an active figure in the Swadeshi Jagran Manch (SJM) and the Swavalambi Bharat Abhiyan (SBA). He has played a significant role in promoting local entrepreneurship and self-reliance across India. In several SJM meetings, he has emphasized the need for effective media management to support the Swavalambi Bharat Abhiyan, advocating for a structured approach to building connections with various forms of media (print, electronic, social, etc.) to communicate about local and national economic, agricultural, and environmental initiatives​( Swadesh Online ).

        धर्मेंद्र दूबे (अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख)

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