मैं गत 9 दिनों से दक्षिण भारत में उडुपी के पास आयुर्वेदिक केंद्र में स्वास्थ्य लाभ हेतु आया। गत तीन महीनों से हड्डियों में कष्ट की कठिनाई चल रही थी। एलोपैथी का इलाज शुरू हुआ। उसका बहुत लाभ भी हुआ।किंतु लगातार एलोपैथी दवाइयां(केमिकल) खाने से शरीर में अन्य प्रकार की विकृतियां आने लगी थी। तो रोजगार सृजन केंद्र कार्यशाला दिल्ली की पूर्ण होते ही अधिकारियों ने अनुमति दी की 9…10 दिन आयुर्वेद पद्धति से इलाज करवा आऊं।
समुद्र के किनारे यह आश्रम बना है।प्रकृति, प्राकृतिक वातावरण, आयुर्वेद का उपचार और अपनापन। इन चारों चीजों का तुरन्त लाभ मिला। क्योंकि अपने ही कार्यकर्ता थे वैद्यराज तन्मय जी। नाड़ी व ज्योतिष विज्ञान के सिद्ध हस्त।इसलिए सब सहज हुआ।आज 9 दिवसीय प्रक्रिया पूर्ण कर चेन्नई प्रवास हेतु निकल रहा हूं।
वहां जर्मनी की एक डॉक्टर व रूस की पूर्व मंत्री भी इलाज करवा रही थी। मैं यह नहीं कहता की एलोपैथी का उपयोग कम है, पर आयुर्वेदिक पद्धति पूर्ण पद्धति है,स्वास्थ्य लाभ की,यह तो इस प्रवास में अनुभव फिर से हो ही गया।संयोग से रूस और जर्मनी के कुछ नए मित्र भी बन गए।
नीचे: समुद्र के किनारे प्रकृति की गोद में। प्रकृति की सुंदरता को स्वदेशी चिट्ठी के पाठकों के लिए मैंने फोन के कैमरे में बंद किया।आप देखना चाहेंगे?