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इनके जज़्बे को सलाम!!

आज सवेरे कार्यालय पर चाय पीते हुए मेरी नजर जागरण में छपी एक प्रेरक खबर पर पड़ी तो सोचा आपको भी बताऊँ…
छत्तीसगढ़ की शारदा 2 बच्चों की माँ है, घर में आर्थिक कठिनाई बहुत है।यद्यपि MA economics व PGDCA भी कर रखा है, पर नौकरी कोई मिली नहीं।
2015 में रेलवे ने चतुर्थ श्रेणी की नौकरियाँ निकाली तो न केवल सफलता मिली पर टॉप पर रही।
कोई काम छोटा नहीं होता और मेहनत से घबराना नहीं यह तय कर शारदा रोज रेल की पटरी पर घास निकालना या गिट्टी निकालना याने ट्रैक मेंटेनेंस का काम बखूबी करती है।
सवेरे शाम घर,बच्चे व दिन में ड्यूटी।
409 महिलाओं की बनी असोसिएशन का भी नेतृत्व कर रही है… पढ़ी लिखी होने से अफसरों से बात करने में आसानी रहती है। सब उसका लोहा मानने लगे हैं केवल 2 वर्षों में…जय हिन्द
इधर इस हिसार की बेटी शिवांगी पाठक ने भी जबरदस्त उपलब्धि की है। बकौल डा:हर्षमोहन जी इसने इस गुरुवार को ही केवल 16 वर्ष की आयु में माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर,सबसे कम उम्र में एवरेस्ट चढ़ने वालों में नाम दर्ज कराया।
शाबाश ! शिवांगी…आगे बड़ो, तुम पर गर्व है..
~’स्वदेशी-चिट्ठी’

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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