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सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक फोटो जिसमें दादी और पोती रोते हुए बैठी हैं कितनी सच है?

तो अपने कश्मीरी लाल जी जो ऐसे विषयों के तज्ञ हैं, उन्होंने Google से सर्च करके बताया “हां वह सच है! किंतु 11 साल पहले गुजरात के सूरत के पास के एक स्थान की यह फोटो है! जिसमें पोती जब एक वृद्ध आश्रम में,स्कूल के अपने साथी बच्चियों सहित पहुंची तो वहां उसको अपनी दादी मिली!जबकि उसके परिवार वालों ने बताया था कि वह बहुत दिनों के लिए रिश्तेदारों के घर पर गई हुई है!’
उस समय का फोटो एक पत्रकार ने ले लिया और वह अपने देश और दुनिया में उस समय भी वायरल हुआ! अभी कुछ दिनों से फिर से वह चित्र उभरा है!
सवाल यह है कि यह चित्र इतना वायरल कैसे हो गया? क्योंकि दुनिया में तो यह बड़ी सामान्य बात है!
भारत में यह असामान्य है! हमारे यहां पर परिवार व्यवस्था बहुत सशक्त है! यहां ऐसी घटनाएं अपवादस्वरूप ही होती हैं! इसलिए भारत में यह फोटो वायरल हो गया! बाहर इस प्रकार की प्रक्रिया सामान्य बात है!
हां निष्कर्ष इतना जरूर है कि हम अपने माता पिता दादा दादी की सेवा करने में कोई कसर ना छोड़ें!
वैसे यह वृद्धाश्रम का विचार ही विदेशी है! हमारे यहां न ये सफल हैं नही इनकी कोई जरूरत है!
भारत की उत्तम परिवार व्यवस्था का उदाहरण तो दुनिया में दिया जाता है।
~सतीश- ‘स्वदेशी-चिट्ठी

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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