वहां कॉलेज में एक कार्यक्रम आयोजित था। “वर्धा ,स्वदेशी की जन्मभूमि है” ऐसा विषय मैंने रखा। क्योंकि महात्मा गांधी जी ने यहां वर्धा सेवा ग्राम आश्रम बनाया,बाद में विनोबा भावे जी ने भी वहीं साधना की,भूदान आंदोलन चलाया।बाबा आमटे भी इसी जिले के ही रहने वाले हैं।और जमुना लाल बजाज जी ने भी अपने जीवन के अनेक वर्ष इसी वर्धा आश्रम में बिताए। राजीव दीक्षित वह भी अध्ययन करने के लिए यहां आए।यहां अभी एक महात्मा गांधी हिंदी विश्वविद्यालय है।
वहां से 40 किलोमीटर दूर आरवी छोटा कस्बा है।जहां दत्तोपंत ठेंगड़ी जी, स्वदेशी जागरण मंच संस्थापक, का जन्म हुआ।
आज हम सब अत्यंत रोमांचित हुए।उनका पुराना घर देखकर, जिस विद्यालय में वे पढ़े थे, जिस लोकमान्य तिलक लाइब्रेरी में वे नियमित रूप से बैठकर पढ़ा करते थे (1865 में स्थापित), हम गए।सबने चित्र खींचवाए,वीडियो बनाई।
आरवी में एक विशाल स्मारक बनाया जाए,पर्यटन का केन्द्र बने जिससे सामान्य लोगों की आय का स्तर बढ़ाया जा सके,ऐसी कल्पना वहां पर जगी।उनके पुराने मकान को भी स्मारक बनाना चाहिए। स्वर्गीय दत्तोपंत ठेंगड़ी स्मारक समिति वहां पहले से बनी हुई है अपने पुराने संघचालक उसके अध्यक्ष हैं।
नागपुर से भी लगभग 15 कार्यकर्ता वहां गए हुए थे सब लोग दत्तोपंत जी की स्मृतियां संजोकर और सायंकाल नागपुर व लौट आए
जय स्वदेशी जय भारत