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गुरुकुल कुरुक्षेत्र! एक जीवंत, प्रभावी प्रकल्प!

मैं पिछले दिनों कुरुक्षेत्र के स्वामी श्रद्धानंद गुरुकुल में चिकित्सा हेतु गया और आज उन्होंने पांच दिवसीय विद्यार्थियों का योग शिविर प्रारंभ किया।
उद्घाटन में मुझे बोलना था।वहां का दृश्य देखकर मैं वास्तव में प्रभावित हुआ! और बाद में वहां के प्रबंधक सतपाल जी मुझे गौशाला व प्राकृतिक खेती दिखाने ले गए!
मैंने पूछा “गाय के गोबर से वास्तव में बताओ कि प्राकृतिक खेती में कितना फर्क पड़ता है?”
सतपाल जी बोले “हमारा 180 एकड़ का फार्म है!पिछले 4 वर्षों से 1 किलो भी यूरिया या रासायनिक खाद नहीं डाला है”
“और हमारी फसल बल्कि बड़ी है!यहां तक की बंजर जमीन पर भी प्रति एकड़ 28 क्विंटल तक का गेहूं निकल रहा है!
मैं स्वयं भी देखने के लिए गया! वहां सुभाष पालेकर के जीरो बजट प्राकृतिक खेती के दृश्य को प्रत्यक्ष साकार होते हुए मैंने आज वहां देखा!
इसी प्रकार से गौशाला जिसमें एक दिन में लगभग 11 क्विटंल दूध व गोबर गैस प्लांट से 4 सिलेंडर तक की गैस प्रतिदिन निकल आती है!मैंने प्रत्यक्ष देखा!
वहां के बच्चों के संस्कार,व परिणामो मे उनका प्रतिशत देखकर मुझे लगा कि वास्तव में भारतीय संस्कार और विचारों का एक सक्षम जीवंत व प्रभावी केंद्र है गुरुकुल कुरुक्षेत्र!
यहां यह बात अवश्य स्मरणीय है कि इसे खड़ा करने में संघ के पूर्व विभाग संघचालक चौधरी सत्यदेव सिंह जी व वर्तमान में हिमाचल के राज्यपाल डॉक्टर देवव्रत जी की बड़ी भूमिका है यद्यपि यह गुरुकुल 106 वर्ष पुराना है।
इन दिनों कश्मीरी लाल जी उत्तर प्रदेश के प्रवास पर हैं!हरदोई की टीम के साथ नीचे उनका चित्र और योग शिविर के उद्घाटन का एक विहंगम दृश्य

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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