कुछ दिन पूर्व सोमनाथ,गुजरात में अखिल भारतीय प्रचारक बैठक थी! समुद्र के बिल्कुल किनारे पर ही बैठक स्थल था! सामने समुद्र ठाठे मार रहा था! हल्की बूंदा बांदी हो रही थी! संघ के सहसरकार्यवाह सुरेश सोनी जी,दत्ताजी,भाजपा के राममाधव जी व अन्य वरिष्ठ प्रचारक समुद्री लहरों के दृश्य का आनंद ले रहे थे! मेरे मन में विचार उमड़ रहे थे कि पृकृति कितनी आनंदमयी है…कितने लोग इसका ध्यान करते हैं?
तीन दिन पूर्व अपने कश्मीरी लाल जी ने विटामिन डी का महत्व बताती एक Research पोस्ट मुझे भेजी! विटामिन डी की कमी भारत के शहरी क्षेत्रों में 70% व ग्रामीण क्षेत्रों में 40% लोगों में है! इसकी कमी से न केवल हड्डियॉं, जोड़ कमजोर होते हैं,बल्कि लीवर व किडनी पर भी असर पड़ता है!
इलाज! हमारे ही पास
है! सूर्य की किरणें! जी हां!सूर्य की किरणे सीधे त्वचा पर पडते ही विटामिन डी बनना शुरू हो जाता है! खुले में सूर्य किरणें शहरी लोग कम लेते हैं, इसी से कमी ज्यादा है!
अत:हम स्वयं, विशेषकर बच्चों को अधिक से अधिक सूर्य किरणों के सम्पर्क में लाएं! बाद में डाक्टरों के चक्कर काटने से कहीं अधिक अच्छा नहीं कि प्रकृति, सूर्यदेवता के सीधे सम्पर्क में रहा जाए!?
पैट्रोल का एक लीटर जलना,एक हजार किलो आक्सीजन सोख लेता है! पर पेड़,तेल जलने से उत्पन्न होने वाली कार्बनडायाक्साईड सोख लेते हैं! अत:अधिकाधिक पेड़,पर्यावरण, स्वास्थय दोनों के लिए सर्वोतम है!
4 दिन पहले मै कुरूक्षेत्र में था! सवेरे बडी बारिश हो रही थी…मुझे जगजीतसिहं की पुरानी गज़ल याद आयी..”वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी..” मैं अपने को रोक न सका और कपड़े उतार जमकर नहाया! वर्षों बाद! याद करो! आप कब बारिश में नहाए थे?
अभी बारिशें चल रहीं हैं! ज़रा करके देखो! बचपन का आन्नद, न बरसे तो कहना!
इन्द्री, करनाल में कश्मीरी लाल जी द्वारा तीन दिन पूर्व पौधारोपण, समुद्र किनारे सोनी जी,हरीशजी!कुरूक्षेत्र में बारिश में स्नान करने के बाद मैं स्वयं!
~सतीश—‘स्वदेशी-चिट्ठी’
(4 वर्ष पूर्व आज ही के दिन लिखी चिठ्ठी)