संघर्षों के बाद विजय का प्रतीक! सोमनाथ मंदिर!
संघ की प्रान्त प्रचारक बैठक गुजरात के सोमनाथ में 3 दिन से जारी है.. कल रात को बैठक के बाद 15 मिनट की इस सोमनाथ मंदिर के इतिहास की फ़िल्म हमने देखी! उफ़! कितना संघर्ष…कितना बलिदान किया हमारे पूर्वजों ने…देख सुनकर रोमान्च हो आया…आप भी सुनो.
सौराष्ट्र में समुद्र के किनारे सर्वप्रथम राजा चंद्रदेव सोमराज ने स्वर्ण का शिवमंदिर बनवाया। मान्यता है की सदियों बाद शिवभक्त रावण ने जीर्णोद्धार कर इसे चांदी से बनवाया…फिर द्वापर में कृष्ण जी ने काष्ठ से बनवाया!
8वीं सदी में सिंध के अरबी नवाब जुनायद ने इसे नष्ट करने सेना भेजी…संघर्ष शुरू हो गए..राजा नागभट ने 815 ईस्वी में पुनर्निर्माण किया!
इस्लामी आक्रान्ता महमूद गज़नवी ने 1024 में 5000 की सेना के साथ भयंकर आक्रमण किया! रक्षा के लिये युवा राजा हमीर सिंह व् उनके साथ वेगडा भील भी डट गए! कई दिन युद्ध चलता रहा…दूर के हिन्दू राजा सहायता को पंहुचे नहीं…अंततः हम्मीर व् वेगड़ भील की शहादत के बाद गज़नवी ने जमकर लूटपाट की! शिवलिंग तोडा,मंदिर नष्ट किया!
कुछ वर्षों बाद राजा भीम व् मालवा के राजा भोज ने मंदिर तुरंत बनवाया! पर अलाउदीन ख़िलजी व् बाद में उसके सरदार अफजल खान ने 1374 से 1520 के बीच 5 बार तोड़ा!
फिर औरंगजेब आया! कुल मिलाकर 17 बार मंदिर तोडा गया…उफ़!
1947 में देश आज़ाद होते ही सरदार वलभ भाई पटेल ने 13 नवम्वर 1947 को गुजराती नूतन वर्ष के दिन स्वतंत्रता सेनानी क.ल.मुंशी व् जामनगर के राजा दिग्विजय सिंह को साथ ले समुद्र का पानी हाथ में रखकर प्रतिज्ञा की…”हम सोमनाथ मंदिर का पुनः निर्माण कराएंगे!”
प्रथम राष्ट्रपति बाबू राजेन्द्र प्रसाद ने शिलान्यास किया व् आज का भव्य मंदिर अस्तिव में आया!
किन्तु सन् 2000 तक भी केवल मंदिर ही था।पहले जब केशुभाई पटेल व् बाद में नरेंद्र मोदी मुख्य मंत्री बने तो आज वह भव्य तीर्थ पर्यटन स्थल बन गया है…
हजारों लोग प्रतिदिन आते हैं…जय हो..
~सतीश–‘स्वदेशी-चिठ्ठी’
(मंदिर, मोहनजी भागवत पूजा करते हुए, साथ में केशुभाई! भव्य व् उफनते समुद्र को निहारते प्रचारक बंधू)