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नए स्वप्न, बड़े स्वप्न देखने के जुनून ने बनाया एक सामान्य परिवार की लड़की को 1300 करोड़ रू की कंपनी की मालकिन, दे रही है 4000 लोगों को रोजगार!

#स्वदेशीचिट्ठी
मध्यम वर्गीय परिवार में पलने वाली 60 वर्षीय वंदना लूथरा VLCC कंपनी की मालकिन है जो कि सौंदर्य से जुड़ी सेवाएं प्रदान करती है।
1989 में बैंक से लोन लेकर दिल्ली के सफदरजंग में अपना पहला सेंटर शुरू किया और आज 11 देशों में 300 से ज्यादा सेंटर हैं।
शुरुआती दौर में मुश्किलों का सामना अवश्य करना पड़ा। उस समय महिलाओं को इतनी आजादी नहीं थी, बहुत लोगों ने राह में रोड़े भी अटकाए।
वे कहती हैं, “मेरे पति ने मेरा सपना पूरा करने की पेशकश की, लेकिन में इस बात पर अड़ी रही कि मैं किसी से पैसे नहीं लूंगी। मैंने एक जगह बुक की और एक छोटा सा लोन लेकर काम शुरू किया।”
क्योंकि ब्रांड और आइडिया भारत में नया था, इसलिए लोगों ने इसे पसंद भी किया और ग्राहक भी आते थे। एक महीने बाद ही प्रॉफिट मिलना शुरू हो गया।
हालांकि ससुराल में भी शुरआती दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन धीरे धीरे वहां से भी प्यार और प्रोत्साहन मिलने लगा।
2013 में वंदना जी को पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया।
आज कंपनी में 4000 से भी अधिक लोग काम कर रहे हैं और हजारों लोगों को स्वरोजगार के लिए तैयार भी कर रहे है।
यही है स्वदेशी सोच! ‘Don’t be a job seeker, be a job provider’ का सटीक उदाहरण।
स्वदेशी एजुकेटर की कलम से।
वंदना लूथरा कंपनी के कर्मचारियों के साथ !!

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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