भारत में फर्निचर का व्यवसाय प्राचीन है, जब राजा-महाराजाओं के दरबारों में नक्काशीदार लकड़ी के फर्निचर का उपयोग होता था। यह परंपरा आज भी आधुनिक डिज़ाइनों में दिखती है।
भारत में फर्निचर व्यवसाय प्राचीन नक्काशी और शिल्प से प्रेरित है, जहां पारंपरिक डिज़ाइन और आधुनिक शैलियाँ आज भी उद्योग को समृद्ध कर रही हैं।
फर्नीचर हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो घर और ऑफिस को सुंदर बनाते हुए, रोजमर्रा के कामों को आसान और सुविधाजनक बनाता है।
वैसे तो बाजार में पहले से बने हुए सेट फर्नीचर मिल जाते हैं लेकिन कई लोग अपनी पसंद की डिजाइन का फर्नीचर बनवाते हैं जिसके लिए वे कस्टम फर्नीचर स्टोर पर जाते हैं।
1. स्थान एवं लोकेशन
फर्निचर के बिजनेस के लिए स्थान का चयन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है इसके लिए ज्यादा तर मेन मार्केट या शहर से नजदीक स्थापित करने की आवश्यकता पड़ती जिसके लिए 1200 से 1500 वर्ग फुट जमीन की आवश्यकता होती है जहा आप लकड़ी, बांस, प्लाइवुड इत्यादि से जुड़े समान स्टोर कर सकते है।
2. मेन पावर
इसमें काम करने के लिए आपको कम से कम 4-5 मेन पावर की आवश्यकता पड़ती जो अलग-अलग काम के लिए होते है।
3. बाजार की मांग और अवसर
शहरों में बढ़ते आवासीय और व्यावसायिक स्थलों के कारण फर्निचर की मांग बढ़ रही है। लोग अपने घरों और ऑफिस को सजाने के लिए नए और अनोखे फर्निचर की तलाश में रहते हैं
सस्टेनेबल और इको-फ्रेंडली उत्पाद: पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण इको-फ्रेंडली फर्निचर की मांग तेजी से बढ़ रही है। इस सेगमेंट में प्रवेश करके आप एक विशेष बाजार को टारगेट कर सकते हैं।
4. व्यवसाय मॉडल
1.निर्माण और उत्पादन: फर्निचर का निर्माण करने का व्यवसाय, जिसमें आप कच्चे माल से फर्निचर का उत्पादन करते हैं। इसके लिए एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की आवश्यकता होता
है।
2.फर्निचर रिटेलिंग: आप तैयार फर्निचर खरीदकर उसे अपने खुद के स्टोर या ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से बेच सकते हैं।
3.फर्निचर रेंटल: यह मॉडल अस्थायी जरूरतों वाले ग्राहकों को टारगेट करता है, जैसे कि छात्र, प्रवासी पेशेवर, आदि। इसमें आप फर्निचर को किराये पर देकर लाभ कमा सकते हैं।
4. कस्टम फर्निचर: ग्राहकों की व्यक्तिगत जरूरतों और इच्छाओं के अनुसार कस्टमाइज्ड फर्निचर बनाने का व्यवसाय। इस मॉडल में यूनिक और टेलर-मेड उत्पाद बनाए जाते हैं।
5. रॉ मटेरियल
1 . लकड़ी (Wood)
सॉलिड वुड: सागौन, शीशम, ओक, टीक, रोज़वुड।
इंजीनियर वुड: एमडीएफ ,प्लाइवुड, पार्टिकल बोर्ड।
2.मेटल्स (Metals)
1.स्टील: फ्रेम्स और सपोर्ट स्ट्रक्चर के लिए।
2.एल्युमिनियम: लाइटवेट फर्निचर के लिए।
3.आयरन: विंटेज या इंडस्ट्रियल डिज़ाइनों के लिए।
3. प्लास्टिक(palstic)
पॉलीप्रोपलीन, एबीएस जैसे- टिकाऊ और लाइटवेट प्लास्टिक मटेरियल।
4. कपड़ा और लेदर (Fabric & Leather)
कुशन, सोफा, और चेयर कवरिंग के लिए। इनमें कॉटन, वेल्वेट, सिंथेटिक लेदर, और ऑरिजिनल लेदर शामिल हैं।
6.मशीनरी एवं उपकरण
कटिंग: सॉ, सीएनसी राउटर।
जॉइनिंग: ड्रिल मशीन, नेल गन।
सैंडिंग: बेल्ट सैंडर।
मापने: टेप मेजर, स्पिरिट लेवल।
फिनिशिंग: स्प्रे गन, पेंट ब्रश।
हैंड टूल्स: हथौड़ी, स्क्रूड्राइवर।
सेफ्टी: दस्ताने, सेफ्टी गॉगल्स।
7. लागत
फर्निचर के व्यवसाय को 1-5 लाख रुपये तक निवेश करके शुरुआत कर सकते है। इसमें रॉ मटेरियल, उपकरण, कार्यशाला सेटअप, श्रमिक वेतन, मार्केटिंग, और लॉजिस्टिक्स शामिल हैं।
8. फायदे
यदि आप किसी होल सेलर या मैन्युफैक्चरिंग हब से खरीद कर शोरूम या दुकान में रख कर बेचते हैं तो महज 20-25 प्रतिशत का लाभ कमाते हैं और यदि आप खुद अपने यहां कारीगर से बना कर बेचते हैं तो कम से कम 50 प्रतिशत से अधिक का लाभ कमा सकते है।
थोक मूल्य पर मशीनरी और रॉ मटेरियल कहा से प्राप्त करें
फर्निचर स्टोर से जुड़े मशीन एवं रॉ मटेरियल आप अपनी नजदीकी होल सेलर विक्रेता से कम रेट पर आसानी से प्राप्त कर सकते है और इंडिया मार्ट,जस्ट डायल जैसे ऑनलाइन बेबसाइट के माध्यम से मंगवा सकते है