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मार्क्स, मेकाले व मुस्लिम(कट्टरता) ग्रंथियों से मुक्त एक पाकिस्तानी भारतीय: तारिक फतेह!!

कल 73 वर्ष की आयु में तारिक फतेह का निधन कनाडा में हो गया। वह पाकिस्तान में जन्मे थे, मुस्लिम थे किंतु संघ के किसी कार्यकर्त् जैसे अपने को भारतीय मानते थे।
वे स्पष्ट बोलते थे “मैं गर्व से कहता हूं मैं राजपूत हूं। मैं पाकिस्तान में जन्मा हूं,लेकिन पाकिस्तान को मैं भारत का हिस्सा मानता हूं। मैं मुस्लिम मेरे पुरखों के धर्म बदलने के कारण से हूं। मैं मुस्लिम होने को नहीं बल्कि मजहब की कट्टरता को गलत मानता हूं।”
तारीख फतेह ने प्रसिद्ध पुस्तके “The tragic illusion of an Muslim State,” “The Jew is not my enemy” लिखीं।
वह विश्व भर में एक ऐसे मुस्लिम के नाते से जाने गए जिनको अपने पूर्वजों के हिंदू होने का गर्व था। वह विभिन्न टीवी चैनलों पर पसंद किए जाते थे। वे उन्मादी मुस्लिमों को, वोट बैंक की राजनीति करने वाले राजनेताओं को, जमकर खरी-खोटी सुनाते थे।
इतना साहसी व्यक्ति, वर्तमान में भारत में नहीं पूरे विश्व में मिलना कठिन है।
वे कृष्ण भक्त रसखान, प्रखर देशभक्त अब्दुल कलाम आजाद, पूर्व शिक्षा मंत्री छागला की परंपरा में थे।भारत को अपने इस सत्य उद्घोषक और मैकाले मार्क्स की मानसिकता से मुक्त एक मुखर मुस्लिम, राष्ट्रवादी इतिहासकार पर गर्व है। उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि~सतीश

दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहलाता है कोयंबटूर! इस शहर ने 7 लाख से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया हुआ है। अकेले कोयंबटूर की जीडीपी 50 अरब डॉलर है जबकि सारे श्रीलंका की जीडीपी 80 अरब डॉलर है।"भारत का प्रत्येक महानगर कोयंबटूर बन जाए तो भारत की बेरोजगारी भी खत्म हो जाएगी।

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