कल रात बेंगलुरु के रमेश बाबू की बड़ी प्रेरणास्पद कहानी मेरे ध्यान में आई! उसी के ही शब्दों में सुनो:-
“मैं बेंगलुरु के एक गरीब परिवार का रहने वाला हूं!मैं जब 10 साल का था तो मेरे पिताजी का देहांत हो गया!मां लोगों के बर्तन साफ करती थी! मेरे पिताजी की नाई की दुकान मेरे चाचा चलाने लगे!वह हमें ₹5 प्रतिदिन देते थे!किंतु मेरी मां ने कहा कि तुम पहले पढ़ाई कर लो!मैं 12वीं कक्षा तक पढ़ाई भी करता रहा व बाल काटने के काम से थोड़ा बहुत सीखता कमाता भी रहा! मैने पढ़ाई पूरी की, फिर तो मैंने पूरी तरह से नाई का काम ही अपना लिया!”
“मेरे चाचा ने एक कार ली थी तो देखा देखी मैंने भी कार ले ली!किंतु उसकी किश्ते पूरी नहीं हो रही थी!तो पड़ोस की ही बहन नलिनी अक्का ने कहा कि “अरे इसे किराए पर लगाओ,तो तुम्हारा काम बन जाएगा”! तो मैंने एक ड्राइवर रख कर कार को टैक्सी के नाते से प्रयोग किया धीरे धीरे 5-6 कारें और अंततोगत्वा महंगी कारें भी! अब तो 300 से अधिक कारे मेरे पास है!इधर मैंने अपना नाई का काम भी छोड़ा नही!बल्कि आगे ही बढ़ाया! आज मेरी अनेक दुकानें हैं!दोनों कामों से नाई के काम से भी और कारें किराए पर देने के काम से भी कुल मिलाकर मेरी अब पर्याप्त कमाई है!यहां तक कि 3 करोड रुपए का तो वार्षिक टैक्स ही मैं जमा कराता हूँ!”
यह सारा देख, सुनकर लगा कि हमारे देश के युवाओं को भी मेहनत लगन व सूझबूझ का परिचय देकर सफलता हासिल करनी होगी! क्योंकि हिम्मत,मेहनत व आत्मविश्वास ही सबसे बडी पूंजी होती है…सतीश
…और कल शाम को,दिल्ली में नया बना भाजपा का केंद्रीय कार्यालय देखने के लिए कश्मीरीलालजी, डा:क़ौल जी व मैं गए! बहुत ही उत्तम तरीके से व वर्तमान की परिस्थितियों व आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बना कार्यालय है…