कैथल में RSS के संघ शिक्षा वर्ग से जब वरुण घर लौटा तो उसकी मां,बहन ने तिलक करके,आरती उतार कर उसका स्वागत किया!
उस चित्र को उसके पिता राजेशजी ने बड़े गर्व के साथ Facebook पर पोस्ट भी किया
उन्होंने लिखा “गुरुकुल पद्धति के अनुरूप मेरा बेटा देशभक्ति के संस्कार पाकर आया है!
इसी तरह कुछ दिन पहले मैं भीलवाड़ा गया था वहां के विभाग संयोजक माधव सिंह जी ने अपने घर में भोजन परोसने के लिए अपने पुत्र दुष्यंत को लगाया उसकी मां बार-बार मुझे कह रही थी “इसको कोई अच्छी कहानी सुनाओ, देशभक्ति की!”
वे दुष्यंत को स्वदेशी के,देशभक्ति के घर में पाठ तो पढ़ा ही रहे हैं,कुरुक्षेत्र में लगे विचार वर्ग में भी उसको लेकर आए।
यह सुनिश्चित ही है वह बड़ा होकर स्वदेशी का समाज का,अच्छा कार्यकर्ता बनेगा…
…ऐसे ही संस्कार पाकर बच्चे ना केवल परिवार के लिए बल्कि देश व समाज के लिए भी एक अहम भूमिका निभाने वाले बनते हैं!
दुनिया में भारत की यह परिवार- संस्कार व्यवस्था सर्वोत्तम है!
तो हम सब सोच़ें,क्या हम अपने बच्चों को केवल पढ़ाई और कैरियर तक ही सीमित रखते हैं अथवा उन्हें देश समाज का कार्य करने के लिए,धर्म का कार्य करने के लिए,अच्छी संस्कार व्यवस्था भी करते हैं?
बच्चे के समग्र विकास के लिए भी यह आवश्यक है!
* मोगा में शहीदी दिवस मनाने हेतु मैं कल वहां पहुंचा!
25 जून 1989 को आतंकवादियों के हाथों अपने 25 स्वयंसेवक शहीद हुए थे!उसको,आज तक हम प्रतिवर्ष मनाते आए हैं…
शहीदों की चिताओं पर..
लगेंगे हर बरस मेले..
वतन पर मिटने वालों का
यही बाकी निशां होगा…~`स्वदेशी-चिठ्ठी’
पानीपत से नितिन ने मुस्कुराते हुए लिखा है..
राजा हरिश्चंद्र जीवन भर सत्य बोलते रहे, कभी झूठ नहीं बोला,तो उसका करण जानते हैं, आप..? नहीं,तो सुनिए..
उसकी पत्नी तारामती ने कभी यह तीन सवाल नहीं पूछे 1. अब कहां जा रहे हो ? 2.मैं कैसी लग रही हूं?3. फोन किसका था?…जय हो