3 दिन पूर्व दिल्ली के केशव पुरम विभाग के संयोजक प्रोफेसर मनजीत जी मुझे लेने के लिए कार्यालय आए!
रास्ते में कार ड्राइव करते हुए उन्होंने कहा “सतीश जी मेरे मन में एक आशंका है,मोदी जी चीन गए हैं!हम तो यहां पर चाइनीज बायकॉट में लगे हैं और वह वहां जाकर दोस्ती बढ़ा रहे हैं!इस सारे का क्या मतलब है?मैं तो बड़ा कंफ्यूज हूं!”
मैंने कहा “क्यों?” तो वे बोले “कहीं 1962 की तरह हमारा नेतृत्व फिर तो नहीं गलती खा जाएगा?”
मैंने सोचा कि इसकी बात में कुछ दम भी हो सकता है तो मैंने 2 दिन मोदी जी की चीन यात्रा का अध्ययन किया उन्होंने क्या-क्या किया?क्या क्या हुआ?
तो मेरे ध्यान में आया कि यह अचानक हुई चीन यात्रा नहीं थी!बल्कि अत्यंत सुनियोजित प्रक्रिया का यह दौरा था!
8 दिन से हमारे सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल,विदेश मंत्री सुषमा स्वराज,फिर नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजीव कुमार और अन्य विशिष्ट विभागों के अधिकारी 10-12 दिन से सारे चीन के अलग-अलग आर्थिक, सुरक्षा व अन्य संस्थानों के साथ वार्ता कर रहे थे!
इस समय पर दुनिया की जैसी स्थिति है उसमें चीन से कैसे पार पाना? उसकी कमजोरी,उसकी ताकत क्या है?
… और फिर 2 दिन की लंबी अनौपचारिक वार्ता शी जिनपिंग के साथ मोदी जी की!सारी दुनिया इस पर ध्यान टिकाए थी!
मैंने कहा “अब 2018 का राष्ट्रीय नेतृत्व बहुत ठोस है! इसलिए चिंता नहीं बल्कि हर्ष का विषय है कि हम अब चीन को बिल्कुल ठीक ढंग से निपट रहे हैं!”
“भारत को अगर विश्व की महाशक्ति बनना है तो अमेरिका से लेकर चीन तक इस प्रकार के एक समग्र दृष्टिकोण व जीत-जीत के आधार पर हमें चलना होगा!अपना नेतृत्व इस विषय में पर्याप्त सक्षम व साहसी है! दुनिया में भगवा लहराने की तैयारी करो…”
स्वदेशी चिट्ठी~सतीश
(आज अहमदाबाद में, परसों से होने वाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक की तैयारियों की समीक्षा हो रही थी तो नीलेश जी के बेटे ने अचानक यह फोटो खींच लिया..)