3 दिन पूर्व मुझे आयुष विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के कुलपति डॉक्टर बलदेव जी कुरुक्षेत्र गुरुकुल में ले गए! यहां का योग,प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद तथा गुरुकुल का उत्तम वातावरण देख-सुन,मन हर्षित हो उठा!
वास्तव में इस सब प्रक्रिया का भारत में तेजी से प्रसार प्रचार हो रहा है!
ऐसे ही डॉक्टर देवेंद्र शर्मा जो भारत में कृषि विषेशग्य माने जाते हैं,उन्होंने प्राकृतिक खेती पर आंध्र में चल रहे प्रयोग के बारे में बताया:-
“हमारे देश में पर्यावरण को जरा भी नुकसान पहुंचाए बगैर किसानों के चेहरे पर मुस्कान लौटाने वाली,टिकाऊ खेती की पटकथा लिखी जा रही है!”
“आंध्र प्रदेश ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का विशाल कार्यक्रम शुरू किया है! ‘रायतू साधिकारा संस्था’, के इस कार्यक्रम में 2017 से 2022 की अवधि में सभी 13 जिलों के 5 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती पर लाने का उद्देश्य है!”
“मैं हाल ही में कुरनूल जिले के कई गांव में उन किसानों से मिला हूं,जो रासायनिक खेती से प्राकृतिक खेती पर आ गए हैं! मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि सारी फसलों में उपज बड़ी है! मूंगफली में उत्पादन 35% काटन में 11℅ मिर्च में 34%,बेंगन में 69% और धान में 12 प्रतिशत वृद्धि हुई है!”
“अब तक 1.63 लाख किसान प्राकृतिक खेती की ओर मुड़े हैं! यदि रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल किए बिना उत्पादन बढ़ाया जा सकता है! और किसानों की शुद्ध आय भी बढ़ रही हो तो कोई कारण नहीं कि अन्य राज्य आंध्र प्रदेश द्वारा किए गए,नई जमीन तोड़ने वाले प्रयासों का अनुसरण ना करें!”
~ ‘स्वदेशी-चिट्ठी’
(चित्र में डा:बलदेव व् गरुकुल की चिकित्सक डा:के साथ)